चौबीस तीर्थंकर सम्बंधित जानकारी

तीर्थंकर............ आयु....................................... कितने काल बाद हुए............................ रंग.....................................
ऋषभनाथ 84 lakh * 84 lakh * 84 lakh 0 Golden
अजितनाथ 72 lakh * 84 lakh * 84 lakh 50 lakh crore saagr Golden
सम्भवनाथ 60 lakh * 84 lakh * 84 lakh 30 lakh crore saagr Golden
अभिनन्दननाथ 50 lakh* 84 lakh * 84 lakh 10 lakh crore saagr Golden
सुमतिनाथ 40 lakh* 84 lakh * 84 lakh 9 lakh crore saagr Golden
पद्मप्रभ 30 lakh* 84 lakh * 84 lakh 90,000 crore saagr Pink (कमल जैसा)
सुपार्श्वनाथ 20 lakh* 84 lakh * 84 lakh 9,000 crore saagr Harit (प्रियंगु पंज जैसा)
चन्द्रप्रभ 10 lakh* 84 lakh * 84 lakh 900 crore saagr White
पुष्पदंत 2 lakh* 84 lakh * 84 lakh 90 crore saagr White
शीतलनाथ 1 lakh* 84 lakh * 84 lakh 9 crore saagr Golden
श्रेयांशनाथ 84 lakh 1 crore saagr Golden
वासुपूज्य 72 lakh 54 saagr Orange (टेसू जैसा)
विमलनाथ 60 lakh 30 saagr Golden
अनंतनाथ 30 lakh 9 saagr Golden
धर्मनाथ 10 lakh 4 saagr Golden
शांतिनाथ 1 lakh 3 saagr Golden
कुंथुनाथ 95,000 0.5 palya Golden
अरहनाथ 84,000 0.25 palya Golden
मल्लिनाथ   1,000 crore Golden
मुनिसुव्रतनाथ 30,000 54 lakh Shyam (अंजन गिरी जैसा)
नमिनाथ 10,000 6 lakh Golden
नेमिनाथ 1,000 5 lakh Shyam (मोर के कंठ जैसा)
पार्स्वनाथ 100 84,000 harit (कच्ची शाली जैसा)
वर्धमान 72 250 Golden
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तीर्थंकर......... साथ में कितने राजा दीक्षित हुए.................. समोशरण में कितने केवली....... समोशरण में कितने मुनि............. समोशरण में कितनी आर्यकाये..... समोशरण में कितने श्रावक श्राविकाए......... कितने शिस्य केवली हुए................
ऋषभनाथ 4000 20,000 84,000 3.5 lakh 3 lakh 60,900
अजितनाथ   20,000 1,00,000 3.2 lakh 3 lakh 70,100
सम्भवनाथ   19,850 2,00,000 3.3 lakh 3 lakh 1,70,100
अभिनन्दननाथ   16,000 3,00,000 3.3 lakh 3 lakh 2,80,100
सुमतिनाथ   13,000 3,20,000 3.3 lakh 3 lakh 3,85,600
पद्मप्रभ   12,000 3,30,000 4.2 lakh 3 lakh 3,13,600
सुपार्श्वनाथ   11,000 3,00,000 3.3 lakh 3 lakh 2,85,600
चन्द्रप्रभ   10,000 2,50,000 3.8 lakh 3 lakh 2,34,000
पुष्पदंत   7,500 3,00,000 3.8 lakh 2 lakh  
शीतलनाथ   7,000 1,00,000 3.8 lakh 2 lakh 80,600
श्रेयांशनाथ   6,500 84,000 1.2 lakh 2 lakh 65,600
वासुपूज्य 600 6,000 72,000 1.06 lakh 2 lakh 56,600
विमलनाथ   5,500 48,000 1.03 lakh 2 lakh 51,300
अनंतनाथ   5,000 66,000 1.6 lakh 2 lakh 51,000
धर्मनाथ   4,500 64,000 62,000 2 lakh  
शांतिनाथ   4,000 62,000 60,300 2 lakh 38,400
कुंथुनाथ   3,200 60,000 60,350 1 lakh 46,800
अरहनाथ   2,800 50,000 60,000 1 lakh 37,200
मल्लिनाथ 606   40,000 55,000 1 lakh 28,800
मुनिसुव्रतनाथ   1,800 30,000 50,000 1 lakh 19,200
नमिनाथ   1,600 20,000 45,000 1 lakh 9,600
नेमिनाथ   1,500 18,000 40,000 1 lakh 8,000
पार्स्वनाथ 606 1,000 16,000 38,000 1 lakh 6,200
वर्धमान 300 700 14,000 35,000 1 lakh 7,200
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तीर्थंकर चिन्ह............ पिता........... माता........... जन्म नगरी............ जन्म के नक्षत्र............. निर्वाण होने के नक्षत्र............            
ऋषभनाथ बैल नाभिराजा मरुदेवी अयोध्या पुरी उत्तराषाढ़ा उत्तराषाढ़ा
अजितनाथ हस्ती जितशत्रु विजयादेवी अयोध्या पुरी रोहणी रोहणी
सम्भवनाथ घोटक जयतार श्रीषेणादेवी श्रावस्तीपुरी, ज्येष्ठा ज्येष्ठा
अभिनन्दननाथ कपि (बंदर) सुवीर सिद्धार्थादेवी अयोध्या पुरी पुनर्वसु पुनर्वसु
सुमतिनाथ कोक (चकवा) मेघ मंगलादेवी अयोध्या पुरी मघा मघा
पद्मप्रभ लाल कमल धरण सुसीमादेवी कौशांबी पुरी चित्रा चित्रा
सुपार्श्वनाथ सांथिया सुप्रतिष्ठित पृथ्वीदेवी काशी पुरी विशाखा अनुराधा
चन्द्रप्रभ चन्द्रमा महासेन सुलक्षणादेवी चन्द्र पुरी अनुराधा ज्येष्ठा
पुष्पदंत मगर सुग्रीव रामादेवी किष्किंधा पुरी मूल मूल
शीतलनाथ कल्प वृक्ष दृढ़रथ सुनंदादेवी भद्रशाल पुरी पूर्वाषाढ़ा पूर्वाषाढ़ा
श्रेयांशनाथ गेंडा विमल विमलादेवी सिंह पुरी श्रवण श्रवण
वासुपूज्य महिष वासुदेव जयादेवी चम्पा पुरी शतभिषा, अश्विनी
विमलनाथ सूकर जयति धर्म रामादेवी कंपिला उत्तराभाद्रपदा भरणी
अनंतनाथ सेही सिद्धसेन सूर्यादेवी अयोध्या पुरी रेवती रेवती
धर्मनाथ वज्दंड भानु सुव्रतादेवी रतन पुरी पुष्प पुष्प
शांतिनाथ हिरण विश्वसेन एलादेवी हस्तिना पुरी भरणी भरणी
कुंथुनाथ बकरा सूर्य श्रीमतीदेवी हस्तिना पुरी, कृतिका कृतिका
अरहनाथ मछली सुंदरसेन सुमित्रादेवी हस्तिना पुरी रोहणी रोहणी
मल्लिनाथ स्वर्ण कलश कुंभ सरस्वतीदेवी मिथिला पुरी अश्विनी अश्विनी
मुनिसुव्रतनाथ कछुवा यशोमति वामादेवी कुशाग्र पुर श्रवण श्रवण
नमिनाथ कनक कमल विजयरथ विमलादेवी मथुरा पुरी अश्विनी अश्विनी
नेमिनाथ शंख समुद्रविजय शिवादेवी शौर्य पुर चित्रा चित्रा
पार्स्वनाथ सर्प अश्वसेन वामादेवी वाणारसी विशाखा, विशाखा,
वर्धमान सिंह सिद्धारथ त्रिशलादेवी कुंडलपर उत्तरा फाल्गुणी स्वाती
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तीर्थंकर..............Height..........कहाँ से आये........किन वृक्षों के नीचे दीक्षा ली   
ऋषभनाथ 500 धनुषसर्वार्थसिद्धिवट
अजितनाथ450 धनुषविजय विमानसपृच्छद
सम्भवनाथ400 धनुषग्रैवेयकशाल
अभिनन्दननाथ350 धनुषविजय विमानसरल
सुमतिनाथ300 धनुषवैजवंत विमानप्रयंगु
पद्मप्रभ250 धनुषग्रैवेयकप्रयंगु
सुपार्श्वनाथ 200 धनुषग्रैवेयकसिरीष वृक्ष
चन्द्रप्रभ150 धनुषवैजवंत विमाननाग
पुष्पदंत100 धनुष15 स्वर्गसालिष
शीतलनाथ90 धनुषअच्युत स्वर्गशाल
श्रेयांशनाथ80 धनुष12 स्वर्गबिन्दुक
वासुपूज्य70 धनुष10 स्वर्गजयप्रिय
विमलनाथ60 धनुषग्रैवेयकजंबु
अनंतनाथ50 धनुष12 स्वर्गपीपल
धर्मनाथ45 धनुषसर्वार्थसिद्धिदधिपर्ण
शांतिनाथ40 धनुषसर्वार्थसिद्धिनन्द
कुंथुनाथ35 धनुषसर्वार्थसिद्धितिलक
अरहनाथ30 धनुषजयंत विमानआम्र
मल्लिनाथ25 धनुषअपराजित विमानअशोक
मुनिसुव्रतनाथ20 धनुषग्रैवेयकचंपक
नमिनाथ15 धनुषअपराजित विमानमौलश्री
नेमिनाथ10 धनुषजयंत विमानमेषपर्ण
पार्स्वनाथ9 हाथग्रैवेयकभव
वर्धमान7 हाथ12 स्वर्गशाल

Other Info

वासुपूज्य, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्स्वनाथ, वर्धमान स्वामी - कुमार अवस्था में बाल ब्रह्मचारी मुनि हुए, राज्य नहीं किया | शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ - चक्रवर्ती और कामदेव थे | बाकि १६ तीर्थंकर - महा मांडलेस्वर राजा थे

श्रेयांशनाथ, सुमतिनाथ, मल्लिनाथ जी - पूर्वान्ह समय दीक्षा ली | बाकि सभी ने - सायं समय दीक्षा ली

आदिनाथ जी ने तप के १ वर्ष बाद इच्छुक रस का आहार लिया | बाकी ने गाय के दूध की बनी खीर का आहार - वासुपूज्य जी ने एकान्तर बाद, पार्स्वनाथ जिन ने तेले बाद और बाकी ने बेले बाद

ऋषभनाथ, श्रेयांशनाथ, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्स्वनाथ - को प्रभात समय केवलज्ञान हुआ | बाकि को - दिन के पिछले प्रहर में

वृषमनाथ, अजितनाथ, श्रेयांसजिन, शीतलजिन, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ, सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभ जी - को दिन के प्रथम पहर में मोक्ष हुआ संभवनाथ, पद्मनाथ, पुष्पदंत जिन को - दिन के पिछले पहर में | वासुपूज्य, विमलनाथ, अनंतनाथ, शीतलनाथ, कुंथनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत, नेमिनाथ, पार्स्वनाथ जिन को - रात्रि समय में | धर्मनाथ, अरहनाथ, नमिनाथ, वर्धमान जिन को - सूर्य के उदय हुई प्रभात

आदिनाथ जिन के - निर्माण से ४ दिन पहले वाणी खिरणा बंध हुई | बाकी के - निर्माण होने से १ महीना पहले

Source - [Pdmpuran, Adipuran, Sudrastitrangni]

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Time Distance
असंख्यात समय = 1 आवली 8 परमाणु = 1 त्रसरेणु
संख्यात आवली = 1 उच्छवास 8 त्रसरेणु = 1 रथरेणु
7 उच्छवास = 1 स्तोक 8 रथरेणु = 1 बालागर
7 स्तोक = 1 लव 8 बालागर = 1 लीख
48.5 लव = 1 नाड़ी 8 लीख = 1 सफ़ेद सरसो (32,768 परमाणु)
2 घडी = 1 मुहूर्त 8 सरसो = 1 जौ
30 मुहूर्त = 24 hours 8 जौ = 1 अंगुल
2 months = 1 ऋतू 6 अंगुल = 1 पाद
3 ऋतू = 1 अयान 2 पाद = 1 विपस्टी
5 वर्ष = 1 युग 2 विपस्टी = 1 रतनी
84 लाख वर्ष = 1 पूर्वांग 4 रतनी = 1 दंड
84 लाख पूर्वांग = 1 पूर्व 1000 दंड = 1 योजन
असंख्यात पूर्व = 1 पल्य 40 हजार योजन = *1 महायोजन
10 कोड़ा कोड़ी पल्य = 1 सागर

[Source - आदिपुराण]

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Name आयु कुमार काल राजा के पद पे दिग्विजय का काल चक्रवर्ती पद
भरत चक्रवर्ती 84 lac पूर्व 77 lac पूर्व 40,000 60,000 6 लाख पूर्व - 1 lac
सगर चक्रवर्ती 72 lac पूर्व
मघवा चक्रवर्ती 5 lac 25,000 25,000 10,000 3.9 lac
सनत्कुमार चक्रवर्ती 3 lac 50,000 50,000 10,000 90,000
शांतिनाथ जिन 1 lac 25,000 25,000 800 24,200
कुंथुनाथ जिन 95,000 23,750 yr 23,750 yr 600 23,150
अरहनाथ जिन 84,000 21,000 21,000 400 20,600
सुभौम चक्रवर्ती 68,000 5,000 500 62,500
महापद्म चक्रवर्ती 30,000 500 500 300 18,700
सुसेण चक्रवर्ती 26,000 325 150 25,175
जयसेन चक्रवर्ती 2,400 100 100 1,800
ब्रमदत्त चक्रवर्ती 700 28 56 16 600
Name मुनि पद मोक्ष पूर्व केवलज्ञान
भरत चक्रवर्ती अन्तर्मुहूर्त ~ 1 लाख पूर्व
सगर चक्रवर्ती
मघवा चक्रवर्ती 50,000 Heaven
सनत्कुमार चक्रवर्ती 1 lac Heaven
शांतिनाथ जिन 16 25,000-16
कुंथुनाथ जिन 16 23,750-16
अरहनाथ जिन 16 21,000-16
सुभौम चक्रवर्ती Hell
महापद्म चक्रवर्ती 10,000 Instant
सुसेण चक्रवर्ती 350
जयसेन चक्रवर्ती 400
ब्रमदत्त चक्रवर्ती Hell
नारायण आयु कुमार काल राजा के पद पे दिग्विजय का काल अर्ध चक्रवर्ती पद
त्रिपिष्ट 84,00,000 25,000 1,000 83,74,000
स्वयंभू 60,00,000 25,000 25,000 100 59,49,900
पुरषोत्तम 30,00,000 700 1300 80 29,97,920
सुदर्शन 10,00,000 300 100 70 9,99,530
पुण्डरीक 65,000 250 250 60 64,440
दत्त 32,000 200 50 31,700
लक्ष्मण 12,000 100 40 11,800
श्री कृष्ण 1,000 16 56 8 920
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:pray::maple_leaf:जैन तीर्थंकरों का परिचय:maple_leaf::pray:
जैन धर्म के 24 तीर्थंकर है। इसमें से प्रथम तथा अंतिम चार तीर्थंकरों के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिलता है किंतु उक्त के बीच के तीर्थंकरों के बारे में कम ही जानकारी मिलती हैं। निश्चित ही जैन शास्त्रों में इनके बारे में बहुत कुछ लिखा होगा, लेकिन आम जनता उनके बारे में कम ही जानती है।

यहाँ प्रस्तुत है 24 तीर्थंकरों का सामान्य परिचय:-
(1):hibiscus::hibiscus: आदिनाथ : प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को ऋषभनाथ भी कहा जाता है और हिंदू इन्हें वृषभनाथ कहते हैं। आपके पिता का नाम राजा नाभिराज था और माता का नाम मरुदेवी था। आपका जन्म चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी-नवमी को अयोध्या में हुआ। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन आपको कैवल्य की प्राप्ती हुई। कैलाश पर्वत क्षेत्र के अष्टपद में आपको माघ कृष्ण-14 को निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- बैल, चैत्यवृक्ष- न्यग्रोध, यक्ष- गोवदनल,यक्षिणी-चक्रेश्वरी हैं।

(2) :hibiscus::hibiscus:अजीतनाथजी :

द्वितीय तीर्थंकर अजीतनाथजी की माता का नाम विजया और पिता का नाम जितशत्रु था।आपका जन्म माघ शुक्ल पक्ष की दशमी को अयोध्या में हुआ था। माघ शुक्ल पक्ष की नवमी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। चैत्र शुक्ल की पंचमी को आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न- गज, चैत्यवृक्ष- सप्तपर्ण,यक्ष- महायक्ष, यक्षिणी- रोहिणी है।

(3):hibiscus::hibiscus: सम्भवनाथजी :

तृतीय तीर्थंकर सम्भवनाथजी की माता का नाम सुसेना और पिता का नाम जितारी है। सम्भवनाथजी का जन्म मार्गशीर्ष की चतुर्दशी को श्रावस्ती में हुआ था।मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन आपने दीक्षा ग्रहण की तथा कठोर तपस्या के बाद कार्तिक कृष्ण की पंचमी को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी को सम्मेद शिखर पर आपको निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न- अश्व, चैत्यवृक्ष- शाल, यक्ष- त्रिमुख, यक्षिणी- प्रज्ञप्ति।

(4) :hibiscus::hibiscus:अभिनंदनजी :

चतुर्थ तीर्थंकर अभिनंदनजी की माता का नाम सिद्धार्था देवी और पिता का नाम सन्वर(सम्वर या संवरा राज) है। आपका जन्म माघ शुक्ल की बारस को अयोध्या में हुआ। माघ शुक्ल की बारस को ही आपने दीक्षा ग्रहण की तथा कठोर तप के बाद पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। बैशाख शुक्ल की छटमी या सप्तमी के दिन सम्मेद शिखर पर आपको निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न-बंदर, चैत्यवृक्ष- सरल, यक्ष- यक्षेश्वर, यक्षिणी-व्रजश्रृंखला है।

(5) :hibiscus::hibiscus:सुमतिनाथजी :

पाँचवें तीर्थंकर सुमतिनाथजी के पिता का नाम मेघरथ या मेघप्रभ तथा माता का नाम सुमंगला था।बैशाख शुक्ल
की अष्टमी को साकेतपुरी (अयोध्या) में आपका जन्म हुआ। कुछ विद्वानों अनुसार आपका जन्म चैत्र शुक्ल की एकादशी को हुआ था। बैशाख शुक्ल की नवमी के दिन आपने दीक्षा ग्रहण की तथा चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। चैत्र शुक्ल की एकादशी को सम्मेद शिखर पर आपको निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न- चकवा, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष- तुम्बुरव,यक्षिणी- वज्रांकुशा है।

(6) :hibiscus::hibiscus:पद्ममप्रभुजी :

छठवें तीर्थंकर पद्मप्रभुजी के पिता का नाम धरण राज और माता का नाम सुसीमा देवी था। कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी को आपका जन्म वत्स कौशाम्बी में हुआ। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न-कमल, चैत्यवृक्ष- प्रियंगु, यक्ष-मातंग, यक्षिणी-अप्रति चक्रेश्वरी है।

(7) :hibiscus::hibiscus:सुपार्श्वनाथ :

सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के पिता का नाम प्रतिस्थसेन तथा माता का नाम पृथ्वी देवी था।आपका जन्म वाराणसी में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की बारस को हुआ था। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अंकी त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की सप्तमि आपको कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- स्वस्तिक,चैत्यवृक्ष- शिरीष, यक्ष- विजय, यक्षिणी- पुरुषदत्ता है।

(8) :hibiscus::hibiscus:चंद्रप्रभु :

आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु के पिता का नाम राजा महासेन तथा माता का नाम सुलक्षणा था। आपका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की बारस के दिन चंद्रपुरी में हुआ। पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष सात को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ती हुई।भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-अर्द्धचंद्र, चैत्यवृक्ष- नागवृक्ष, यक्ष- अजित,यक्षिणी- मनोवेगा है।

(9) :hibiscus::hibiscus:सुविधिनाथ :

नवें तीर्थंकर पुष्पदंतको सुविधिनाथ भी कहा जाता है। आपके पिता का नाम राजा सुग्रीव राज तथा माता का नाम रमा रानी था,जो इक्ष्वाकू वंश से थी। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की पंचमी को काकांदी में आपका जन्म हुआ। मार्गशीर्ष के कष्णपक्ष की छट (6) को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा कार्तिक कृष्ण पक्ष की तृतीय (3) को आपको सम्मेद शिखर में कैवल्य की प्राप्ती हुई। भाद्र के शुक्ल पक्ष की नवमी को आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- मकर, चैत्यवृक्ष- अक्ष (बहेड़ा), यक्ष- ब्रह्मा, यक्षिणी- काली है।

(10) :hibiscus::hibiscus:शीतलनाथ :

दसवें तीर्थंकर शीतलनाथ के पिता का नाम दृढ़रथ (Dridharatha) और माता का नाम सुनंदा था। आपका जन्म माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी (12) को बद्धिलपुर (Baddhilpur) में हुआ। मघा कृष्ण पक्ष की द्वादशी को आपने दीक्षा ग्रहणकी तथा पौष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14)को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ती हुई।बैशाख के कृष्ण पक्ष की दूज को आपको सम्मेद
शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- कल्पतरु, चैत्यवृक्ष- धूलि (मालिवृक्ष), यक्ष-ब्रह्मेश्वर, यक्षिणी- ज्वालामालिनी है।

(11) :hibiscus::hibiscus:श्रेयांसनाथजी :

ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथजी की माता का नाम विष्णुश्री या वेणुश्री था और पिता का नाम विष्णुराज। सिंहपुरी नामक स्थान पर फागुन कृष्ण पक्ष की ग्यारस को आपका जन्म हुआ।श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सम्मेद शिखर(शिखरजी) पर आपको निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न-गेंडा, चैत्यवृक्ष- पलाश, यक्ष- कुमार, यक्षिणी-महाकालीहै।

(12):hibiscus::hibiscus: वासुपूज्य :

बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य प्रभु के पिता का नाम वासुपूज्य (Vasupujya) और माता का नाम विजया था। आपका जन्म फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को चंपापुरी में हुआ था। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा मघा की दूज (2) को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ती हुई। आषाड़ के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को चंपा में आपको निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- भैंसा, चैत्यवृक्ष- तेंदू, यक्ष-षणमुख, यक्षिणी- गौरी है।

(13):hibiscus::hibiscus: विमलनाथ :

तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ के पिता का नाम कृतर्वेम (Kritaverma) तथा माता का नाम श्याम देवी (सुरम्य) था।आपका जन्म मघा शुक्ल तीज को कपिलपुर में हुआ था। मघा शुक्ल पक्ष की तीज को ही आपने दीक्षा ग्रहण की तथा पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन कैवल्य की प्राप्ति हुई।आषाढ़ शुक्ल की सप्तमी के दिन श्री सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-शूकर, चैत्यवृक्ष- पाटल, यक्ष- पाताल,यक्षिणी- गांधारी।

(14) :hibiscus::hibiscus:अनंतनाथजी :

चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथजी की माता का नाम सर्वयशा तथा पिता का नाम सिहसेन था।आपका जन्म अयोध्या में वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (13) के दिन हुआ। वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (14) को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा कठोर तप के बाद वैशाख कृष्ण की त्रयोदशी के दिन ही कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। चैत्र शुक्ल की पंचमी के दिन आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न-सेही, चैत्यवृक्ष- पीपल, यक्ष- किन्नर, यक्षिणी-वैरोटी है।

(15) :hibiscus::hibiscus:धर्मनाथ :

पंद्रहवें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ के पिता का नाम भानु और माता का नाम सुव्रत था। आपका जन्म मघा शुक्ल की तृतीया (3)को रत्नापुर में हुआ था। मघा शुक्ल की त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा पौष की पूर्णिमा के दिन आपको कैवल्य की प्राप्ति हुई। ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की पंचमी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- वज्र, चैत्यवृक्ष- दधिपर्ण, यक्ष- किंपुरुष,यक्षिणी- सोलसा।

(16) :hibiscus::hibiscus:शांतिनाथ :

जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हस्तिनापुर में इक्ष्वाकू कुल में हुआ। शांतिनाथ के पिता हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन थे और माता का नाम आर्या (अचीरा) था। आपने ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को दीक्षा ग्रहण की तथा पौष शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आपको कैवल्य की प्राप्ति हुई। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।

जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-हिरण, चैत्यवृक्ष-नंदी, यक्ष- गरुढ़, यक्षिणी-अनंतमतीहैं।

(17) :hibiscus::hibiscus:कुंथुनाथजी :

सत्रहवें तीर्थंकरकुंथुनाथजी की माता का नाम श्रीकांता देवी (श्रीदेवी) और पिता का नाम राजा सूर्यसेन था। आपका जन्म वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हस्तिनापुर में हुआ था। वैशाख कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन दीक्षा ग्रहण की तथा चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई।वैशाख शुक्ल पक्ष की एकम के दिन सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-छाग, चैत्यवृक्ष- तिलक, यक्ष- गंधर्व, यक्षिणी-मानसी है।

(18) :hibiscus::hibiscus:अरहनाथजी :

अठारहवें तीर्थंकर अरहनाथजी या अर प्रभु के पिता का नाम सुदर्शन और माता का नाम मित्रसेन देवी था।
आपका जन्म मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन ‍हस्तिनापुर में हुआ।मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा कार्तिक कृष्ण पक्ष की बारस को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई।मार्गशीर्ष की दशमी के दिन सम्मेद शिखर पर निर्वाण की प्राप्ति हुई।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार उनका प्रतीक चिह्न- तगरकुसुम (मत्स्य), चैत्यवृक्ष- आम्र, यक्ष- कुबेर,
यक्षिणी- महामानसी है।

(19) :hibiscus::hibiscus:मल्लिनाथ :

उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लिनाथ के पिता का नाम कुंभराज और माता का नाम प्रभावती (रक्षिता) था। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को आपका जन्म मिथिला में हुआ था। मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को दीक्षा ग्रहण की तथा इसी माह की तिथि को कैवल्य की प्राप्ति भी हुई। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की बारस को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- कलश, चैत्यवृक्ष- कंकेली (अशोक), यक्ष-वरुण, यक्षिणी- जया है।

(20) :hibiscus::hibiscus:मुनिसुव्रतनाथ :

बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ के पिता का नाम सुमित्रतथा माता का नाम प्रभावती था।आपका जन्म ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की आठम को राजगढ़ में हुआ था। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की बारस को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की बारस को ही कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की नवमी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-कूर्म, चैत्यवृक्ष- चंपक, यक्ष- भृकुटि, यक्षिणी-विजया।

(21):hibiscus::hibiscus: नमिनाथ :

इक्कीसवें तीर्थंकर के पिता का नाम विजय और माता का नाम सुभद्रा (सुभ्रदा-वप्र)था। आप स्वयं मिथिला के राजा थे। आपका जन्म इक्ष्वाकू कुल में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मिथिलापुरी में हुआ था।
आषाढ़ मास के शुक्ल की अष्टमी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कैवल्य की प्राप्ति हुई।वैशाख कृष्ण की दशमी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-उत्पल, चैत्यवृक्ष- बकुल, यक्ष- गोमेध, यक्षिणी-अपराजिता।

(22) :hibiscus::hibiscus:नेमिनाथ :

बावीसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता का नाम राजा समुद्रविजय और माता का नाम शिवादेवी था। आपका जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को शौरपुरी (मथुरा) में यादववंश में हुआ था। शौरपुरी (मथुरा) के
यादववंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वासुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण। इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को गिरनार पर्वत पर कैवल्य की प्राप्ति हुई। आषाढ़ शुक्ल की अष्टमी को आपको उज्जैन या गिरनार पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-शंख, चैत्यवृक्ष- मेषश्रृंग, यक्ष- पार्श्व, यक्षिणी-बहुरूपिणी।

(23) :hibiscus::hibiscus:पार्श्वनाथ :

तेवीसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता का नाम राजा अश्वसेन तथा माता का नाम वामा था। आपका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की दशमी को वाराणसी (काशी) में हुआ था।चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ही कैवल्य की प्राप्ति हुई।
श्रावण शुक्ल की अष्टमी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैनधर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न-सर्प, चैत्यवृक्ष- धव, यक्ष- मातंग, यक्षिणी-कुष्माडी।

(24):hibiscus::hibiscus: महावीर :

चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म नाम वर्धमान,पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला (प्रियंकारिनी) था। आपका जन्म चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी के दिन कुंडलपुर में हुआ था। मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दशमी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा वैशाख शुक्ल की दशमी के दिन कैवल्य की प्राप्ति हुई। 42 वर्ष तक आपने साधक जीवन बिताया। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन आपको पावापुरी पर 72 वर्ष में निर्वाण प्राप्त हुआ।
जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- सिंह, चैत्य्ष- शाल, यक्ष- गुह्मक, यक्षिणी- पद्मा सिद्धायिनी।

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जैनो के वर्तमान चौबीसी भगवान का परीचय👇

1 - श्री ऋषब देव/आदिनाथ जी

माता : मरूदेवी
पिता : राजा नाभिराय
गर्भ : आषाढ़ कृष्णा 2
जन्म : चैत्र कृष्णा 9
तप : चैत्र कृष्णा 9
केवलज्ञान : फागुन कृष्णा 11
निर्वाण : माघ कृष्णा 14
जन्मस्थली : अयोध्या
निर्वाणस्थली : अष्टापद (कैलाशपर्वत)
आयु : 84 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 500 धनुष
चिन्ह : बैल
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

2 - श्री अजितनाथ जी

माता : रानी विजय
पिता : राजा जीतशत्रु
गर्भ : ज्येष्ठ कृष्णा 15
जन्म : माघ शुक्ल 10
तप : माघ शुक्ल 10
केवलज्ञान : पौष शुक्ल 11
निर्वाण : चैत्र शुक्ल 5
जन्मस्थली : अयोध्या
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 72 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 450 धनुष
चिन्ह : हाथी
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

3 - श्री संभवनाथ जी

माता : रानी सुसेना
पिता : राजा जितारी
गर्भ : फाल्गुन शुक्ल 8
जन्म :कार्तिक शुक्ल 15
तप : मार्गशीर्ष शुक्ल 15
केवलज्ञान : कार्तिक कृष्णा 4
निर्वाण : चैत्र शुक्ल 6
जन्मस्थली : श्रावस्ती
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 60 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 400 धनुष
चिन्ह : घोडा/अश्व
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

4 - श्री अभिनन्दननाथ जी

माता : रानी संवर
पिता : राजा सिद्धार्थ
गर्भ : वैशाख शुक्ल 6
जन्म : माघ शुक्ल 12
तप : माघ शुक्ल 12
केवलज्ञान : पौष शुक्ल 14
निर्वाण :वैशाख शुक्ल 6
जन्मस्थली : अयोध्या
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 50 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 350 धनुष
चिन्ह : बन्दर/वानर
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

5 - श्री सुमतिनाथ जी

माता : रानी सुमंगला
पिता : राजा मेघप्रभ
गर्भ : श्रावण शुक्ल 2
जन्म : माघ शुक्ल 12
तप : बैशाख शुक्ल 9
केवलज्ञान : पौष शुक्ल 15
निर्वाण : चैत्र शुक्ल 10
जन्मस्थली : अयोध्या
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 40 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 300 धनुष
चिन्ह : चकवा
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

6 - श्री पद्मप्रभ् जी

माता : रानी सुषमा
पिता : राजा श्रीधर
गर्भ : माघ कृष्णा 6
जन्म : कार्तिक शुक्ल 13
तप : कार्तिक शुक्ल 13
केवलज्ञान : चैत्र शुक्ल 15
निर्वाण : फाल्गुन कृष्णा 4
जन्मस्थली : कौशाम्बी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 30 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 250 धनुष
चिन्ह : लाल कमल
वर्ण : लाल

7 - श्री सुपार्श्वनाथ जी

माता : रानी पृथ्वी
पिता : राजा सुप्रतिष्ठ
गर्भ : भाद्रपद शुक्ल 6
जन्म : जयेष्ठ शुक्ल 12
तप : जयेष्ठ शुक्ल 12
केवलज्ञान : फाल्गुन कृष्णा 6
निर्वाण : फाल्गुन कृष्णा 7
जन्मस्थली : वाराणसी (बनारस)
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 20 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 200 धनुष
चिन्ह : स्वस्तिक
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

8 - श्री चन्द्रप्रभ् जी

माता :-रानी लक्ष्मणा
पिता :- राजा महासेन
गर्भ :चैत्र कृष्णा 5
जन्म : पौष कृष्णा 11
तप : पौष कृष्णा 11
केवलज्ञान : फाल्गुन कृष्णा 7
निर्वाण :फाल्गुन शुक्ल 7
जन्मस्थली :चंद्रपुरी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 10 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 150 धनुष
चिन्ह : चन्द्रमा
वर्ण : श्वेत

9 - श्री पुष्पदंत जी

माता : रानी रामा (सुप्रिया)
पिता : राजा सुग्रीव
गर्भ :फाल्गुन कृष्णा 9
जन्म : मार्गशीर्ष शुक्ल 1
तप : मार्गशीर्ष शुक्ल 1
केवलज्ञान : कार्तिक शुक्ल 2
निर्वाण : आश्विन शुक्ल 8
जन्मस्थली : काकन्दी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 2 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 100 धनुष
चिन्ह : मगर
वर्ण : श्वेत

10 - श्री शीतलनाथ जी

माता : रानी सुनंदा
पिता : राजा दृढ़रथ
गर्भ : चैत्र कृष्णा 8
जन्म : माघ कृष्णा 12
तप : माघ कृष्णा 12
केवलज्ञान : पौष कृष्णा 14
निर्वाण : अश्विन शुक्ल 8
जन्मस्थली : भद्रिकापुरी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 1 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 90 धनुष
चिन्ह : कल्प वृक्ष
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

11 - श्री श्रेयांसनाथ जी

माता : रानी विष्णुश्री
पिता : राजा विष्णुराज
गर्भ : जयेष्ठ कृष्णा 6
जन्म : फाल्गुन कृष्णा 11
तप : फाल्गुन कृष्णा 11
केवलज्ञान : फागुन कृष्णा 11
निर्वाण : श्रावण शुक्ल 15
जन्मस्थली : सिंहपुरी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 84 लाख वर्ष
ऊंचाई : 80 धनुष
चिन्ह : गेंडा
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

12 - श्री वासुपूज्य जी

माता : रानी विजय
पिता : राजा वासु
गर्भ : आषाढ़ कृष्णा 6
जन्म : फाल्गुन कृष्णा 14
तप : फाल्गुन कृष्णा 14
केवलज्ञान : भाद्रपद कृष्णा 2
निर्वाण : भाद्रपद शुक्ल 14
जन्मस्थली : चम्पापुरी
निर्वाणस्थली : चम्पापुरी
आयु : 70 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 70 धनुष
चिन्ह : भैंसा
वर्ण : लाल

13 - श्री विमलनाथ जी

माता : रानी जयश्यामा
पिता : राजा कृतवर्मा
गर्भ : जयेष्ठ कृष्णा 10
जन्म : माघ शुक्ल 14
तप : माघ शुक्ल 14
केवलज्ञान : माघ शुक्ल 6
निर्वाण : आषाढ़ कृष्णा 6
जन्मस्थली : कम्पिल
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 60 लाख वर्ष
ऊंचाई : 60 धनुष
चिन्ह : सूकर/सूअर
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

14 - श्री अनंतनाथ जी

माता : रानी सुयशा
पिता : राजा सिंहसेन
गर्भ : कार्तिक कृष्णा 1
जन्म : जयेष्ठ कृष्णा 12
तप : जयेष्ठ कृष्णा 12
केवलज्ञान : चैत्र कृष्णा 15
निर्वाण : चैत्र कृष्णा 4
जन्मस्थली : अयोध्या
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 30 लाख वर्ष
ऊंचाई : 50 धनुष
चिन्ह : सेही
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

15 - श्री धर्मनाथ जी

माता : रानी सुव्रता
पिता : राजा भानु
गर्भ : वैशाख शुक्ल 8
जन्म : माघ शुक्ल 13
तप : माघ शुक्ल 13
केवलज्ञान : पौष शुक्ल 15
निर्वाण : जयेष्ठ शुक्ल 4
जन्मस्थली : रत्नपुरी
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 10 लाख पूर्व वर्ष
ऊंचाई : 45 धनुष
चिन्ह : वज्रदण्ड
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

16 - श्री शांतिनाथ जी

माता : रानी अचिरा
पिता : राजा विश्वसेन
गर्भ : भाद्रपद कृष्णा 7
जन्म : ज्येष्ठ कृष्णा 14
तप : ज्येष्ठ कृष्णा 14
केवलज्ञान : पौष शुक्ल 10
निर्वाण : ज्येष्ठ कृष्णा 14
जन्मस्थली : हस्तिनापुर
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 1 लाख वर्ष
ऊंचाई : 40 धनुष
चिन्ह : हिरण
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

17 - श्री कुन्थुनाथ जी

माता : रानी श्रीदेवी
पिता : राजा सूर्या
गर्भ : श्रावण कृष्णा 10
जन्म : वैशाख शुक्ल 1
तप : वैशाख शुक्ल 1
केवलज्ञान : चैत्र शुक्ल 3
निर्वाण : वैशाख शुक्ल 1
जन्मस्थली : हस्तिनापुर
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 95,000 वर्ष
ऊंचाई : 35 धनुष
चिन्ह : बकरा
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

18 - श्री अरहनाथ जी

माता : रानी मित्रा
पिता : राजा सुदर्शन
गर्भ : फाल्गुन शुक्ल 3
जन्म : मार्गशीर्ष शुक्ल 14
तप : मार्गशीर्ष शुक्ल 14
केवलज्ञान : कार्तिक शुक्ल 12
निर्वाण : चैत्र शुक्ल 11
जन्मस्थली : हस्तिनापुर
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 84,000 वर्ष
ऊंचाई : 30 धनुष
चिन्ह : मछली
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

19 - श्री मल्लीनाथ जी

माता : रानी रक्षिता
पिता : राजा कुम्भ
गर्भ : चैत्र शुक्ल 1
जन्म : मार्गशीर्ष शुक्ल 11
तप : मार्गशीर्ष शुक्ल 11
केवलज्ञान : पौष कृष्णा 2
निर्वाण : फाल्गुन शुक्ल 5
जन्मस्थली : मिथिला
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 55,000 वर्ष
ऊंचाई : 25 धनुष
चिन्ह : कलश
वर्ण : नीला

20 - श्री मुनिसुव्रतनाथ जी

माता : रानी पद्मावती
पिता : राजा सुमित्र
गर्भ : श्रावण कृष्णा 2
जन्म : वैशाख कृष्णा 10
तप : वैशाख कृष्णा 10
केवलज्ञान : वैशाख कृष्णा 9
निर्वाण : फाल्गुन कृष्णा 12
जन्मस्थली : राजगृही
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 30,000 वर्ष
ऊंचाई : 20 धनुष
चिन्ह : कछुवा
वर्ण : काला

21 - श्री नमीनाथ जी

माता : रानी वप्रा
पिता : राजा विजय
गर्भ : अश्विन कृष्णा 2
जन्म : आषाढ़ कृष्णा 10
तप : आषाढ़ कृष्णा 10
केवलज्ञान : मार्गशीर्ष शुक्ल 11
निर्वाण : वैशाख कृष्णा 14
जन्मस्थली : मिथिला
निर्वाणस्थली : सम्मेद शिखर
आयु : 10,000 वर्ष
ऊंचाई : 15 धनुष
चिन्ह : नील कमल
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

22 - श्री नेमीनाथ जी

माता : रानी शिवादेवी
पिता : राजा समुद्रविजय
गर्भ : कार्तिक शुक्ल 6
जन्म : श्रावण शुक्ल 6
तप : श्रावण शुक्ल 6
केवलज्ञान : अश्विन शुक्ल 1
निर्वाण : आषाढ़ शुक्ल 8
जन्मस्थली : सूर्यपुर (द्वारका)
निर्वाणस्थली : गिरनार जी
आयु : 1,000 वर्ष
ऊंचाई : 10 धनुष
चिन्ह : शंख
वर्ण : काला

23 - श्री पार्श्वनाथ जी

माता : रानी वामादेवी
पिता : राजा अश्वसेन
गर्भ : वैशाख कृष्णा 2
जन्म : पौष कृष्णा 11
तप : पौष कृष्णा 11
केवलज्ञान : चैत्र कृष्णा 4
निर्वाण : श्रावण शुक्ल 7
जन्मस्थली : काशी (बनारस)
निर्वाणस्थली :समेद शिखरजी
आयु : 100 वर्ष
ऊंचाई : 9 हाथ
चिन्ह : सर्प/सांप
वर्ण : हरा

24 - श्री महावीर स्वामी जी

माता : रानी त्रिशला
पिता : राजा सिद्धार्थ
गर्भ : आषाढ़ शुक्ल 6
जन्म :चैत्र शुक्ल 13
तप : मार्गशीर्ष कृष्णा 10
केवलज्ञान : वैसाख शुक्ल 10
निर्वाण : कार्तिक कृष्णा 15
जन्मस्थली : कुण्डलपुर
निर्वाणस्थली : पावापुरी
आयु : 72 वर्ष
ऊंचाई : 7 हाथ
चिन्ह : सिंह/शेर
वर्ण : स्वर्ण/कंचन

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तीर्थंकर भगवान की कौन-कौन सी विशेषताएँ होती हैं?
तीर्थंकरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं:-

  1. तीर्थंकर के दाढ़ी-मूँछ नहीं होती है।

  2. तीर्थंकर बालक माता का दूध नहीं पीते किन्तु सौधर्म इन्द्र जन्माभिषेक के बाद उनके दाहिने हाथ के
    आँगूठे में अमृत भर देता है जिसे चूसकर बड़े होते हैं।

  3. जीवन भर (दीक्षा के पूर्व) देवों के द्वारा दिया गया ही भोजन एवं वस्त्राभूषण ग्रहण करते हैं।

  4. तीर्थंकर स्वयं दीक्षा लेते हैं।

  5. तीर्थंकर को बालक अवस्था में, गृहस्थ अवस्था में एवं मुनि अवस्था में भी मन्दिर जाना आवश्यक नहीं होता। उनका अन्य मुनि से, गृहस्थ अवस्था में साक्षात्कार भी नहीं होता।

  6. तीर्थंकरों के कल्याणकों के समय पर नारकी जीवों को भी कुछ क्षण के लिए आनन्दकी अनुभूति होती है।

  7. तीर्थंकर मात्र सिद्ध परमेष्ठी को नमस्कार करते हैं। अतः नमःसिद्धेभ्यः बोलते हैं।

  8. तीर्थंकरों के 46 मूलगुण होते हैं।

  9. तीर्थंकर सर्वाङ्ग सुन्दर होते है।

  10. तीर्थंकर के चिह्न कौन रखता है?
    जब सौधर्म इन्द्र तीर्थंकर बालक का पाण्डुकशिला पर जन्माभिषेक करता है। उस समय तीर्थंकर के दाहिने पैर के अँगूठे पर जो चिह्न दिखता है, वह इन्द्र उन्हीं तीर्थंकर का वह चिह्न निश्चित कर देता है।

  11. कौन से क्षेत्र के तीर्थंकर का कौन-सी शिला पर जन्माभिषेक होता है?
    भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का पाण्डुकशिला पर, पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का पाण्डु कम्बला शिला पर, ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकरों का रक्त शिला एवं पूर्व विदेह के तीर्थंकरों का रक्त कम्बला शिला पर जन्माभिषेक होता है।

  12. कौन से तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण कौन-सा था ?
    कृत्रिम-अकृत्रिम-जिनचैत्य की पूजा के अध्र्य में तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण इस प्रकार कहा है

द्वी कुन्देन्दु—तुषार—हार–धवलौ, द्वाविन्द्रनील-प्रभौ,
द्वौ बन्धूक-सम-प्रभौ जिनवृषौ, द्वौ च प्रियङ्गुप्रभौ ।
शेषाः षोडश जन्म-मृत्यु-रहिताः संतप्त-हेम-प्रभासम् ।
ते संज्ञान-दिवाकराः सुर-नुताः सिद्धिं प्रयच्छन्तु नः ।

किसी कवि ने तीर्थंकरों के वर्ण के विषय निम्न प्रकार कहा है

दो गोरे दो सांवरे, दो हरियल दो लाल।
सोलह कंचन वरण हैं, तिन्हें नवाऊँ भाल।

अर्थ – चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्त सफेद वर्ण

    मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ           शष्याम वर्ण / नील वर्ण

    पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य                   लाल वर्ण

    सुपार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ             हरित वर्ण

    शेष सोलह तीर्थंकरों का                पीत वर्ण 

विशेष - मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ का श्याम वर्ण है।

  1. कौन से तीर्थंकर कहाँ से मोक्ष पधारे?
    ऋषभदेव कैलाश पर्वत से, वासुपूज्य चम्पापुर से, नेमिनाथ गिरनार से, महावीर स्वामी पावापुर से एवं शेष तीर्थंकर तीर्थराज सम्मेदशिखर जी से मोक्ष पधारे।
    :pray::pray::pray::pray::pray::pray::pray::pray::pray:
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