लघु बोध कथाएं - ब्र. श्री रवीन्द्र जी 'आत्मन्' | Laghu Bodh Kathayen

भ्रष्टाचार

एक राजा खजाने की निरन्तर हानि से परेशान था। प्रजा पर कर (टेक्स) बढ़ रहे थे, परन्तु खजाना खाली हो रहा था। एक बार उसने प्रबुद्ध वर्ग का एक सम्मेलन किया और अपनी समस्या रखी।
एक वृद्ध ने बर्फ का बड़ा टुकड़ा मँगाया और अपने हाथ से क्रमशः हाथों-हाथ राजा के पास पहुँचाया। वह बर्फ का टुकड़ा जब राजा के पास पहुँचा तो बहुत छोटे आँवला जितना था।
राजा को समाधान मिल चूका था। उसने अपने मंत्री, कोषाध्यक्ष और कर्मचारियों की जाँच कराई। चोरी पकड़ी गयी, दोषियों को दण्ड दिया गया। उस वृद्ध को ही राजा ने अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया। खजाने की आय स्वयमेव बढ़ने लगी।
भ्र्ष्टाचार का उन्मूलन ही समस्याओं का सही समाधान है।

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