लघु बोध कथाएं - ब्र. श्री रवीन्द्र जी 'आत्मन्' | Laghu Bodh Kathayen

चोरी

एक तेरह वर्ष का बालक स्कूल से लौट रहा था। उसे रास्ते में सड़क किनारे एक मोबाइल की सिम मिली। उसने उठा कर अपने मोबाइल में डाल ली। उसमें बैलेन्स भी था। उसने किसी से यह बात कही भी नहीं।
परन्तु उस मोबाइल वाले ने उसकी चोरी की रिपोर्ट लिखा दी थी; अतः जैसे ही उसने उस सिम का उपयोग किया, तुरन्त बात पकड़ी गयी।
पुलिस आयी और उसे पकड़ कर ले गयी। उससे पूछा गया, तब उसने रोते हुए सच बता दिया। कोतवाल ने उसे सीधा बच्चा समझ छोड़ तो दिया, परन्तु उसे बहुत बुरा लगा और उसने नियम ले लिया-
‘किसी की पड़ी हुई वस्तु कभी नहीं उठायेगा। यदि संभव हुआ तो उसके मालिक तक पहुँचायेगा या थाने में जमा करा देगा। स्वयं के उपयोग में कदापि नहीं लेगा।’

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