वीर प्रभु की हम संतान, पढ़े लिखे होवें विद्वान ||
मन पढ़ने में सदा लगाते, रोज सबेरे मंदिर आते।
अपना जीवन बने महान, वीर प्रभु….
पंच प्रभु हैं ईश हमारे चरणों में नमन हमारे ।
नित हम करते हैं गुणगान, वीरप्रभु…
महावीर की वाणी सुनेंगे, आतम अनुभव आज करेंगे।
हम भी बनेंगे फिर भगवान, वीर प्रभु…
Artist- Pt. Shri Virag Jain