त्रिशला देवी के आँगन में चलो चलें सांवरिया,
चलो चलें सांवरिया, ज्ञान की भर लें गागरिया ॥
महारानी ने लाला जायो, धन्य घड़ी है आज;
सबको इच्छित दान दीना, सिद्धार्थ महाराज ॥(1)
ऐरावत हाथी लिये, प्रभु इन्द्र-इन्द्राणी आय;
पाण्डुक गिरी पर जाय के, प्रभु को न्हवन कराय॥(2)
सुन-सुन रे साजन मेरे, मत न देर लगाय;
बीती घड़ी सुहावनी, लौट के फिर न आय॥(3)