जिनधर्म में स्त्रियों के साथ हुए तथा-कथित भेदभाव पर तर्क

बात भेद भाव की नहीं है, योग्यता की है।

  1. स्त्री नग्न दिगम्बर नहीं हो सकती इसलिए उसका मोक्ष जाना संभव नहीं है।

  2. मोक्ष जाने के लिए सम्पूर्ण परिग्रह का छोड़ना आवश्यक है, स्त्री के सम्पूर्ण परिग्रह का छोड़ना संभव नहीं है, अतः मोक्ष जाने में बाधक है।

  3. स्त्री के गुप्तांगों में निरंतर sammurchan जीवों की उत्पत्ति होती रहती है, जिसके कारण शुद्धि का हो पाना असंभव है।

  4. मासिक धर्म दिगम्बरत्व में बाधक बनता है।
    विशेष- महिलाओं का मासिक धर्म के समय मंदिर में प्रवेश वर्जित क्यों? - #6 by Divya

  5. यदि स्त्री भी नग्न हो तो लोक मर्यादा को निभाना मुश्किल हो जाएगा। वस्त्र सहित स्त्री का शील जब खतरे में रहता है तब वस्त्र रहित स्त्री कैसे सुरक्षित रह सकती है।

  6. स्त्री गुणस्थानों की अपेक्षा 5 वे गुणस्थान तक ही जा सकती है, इससे आगे नहीं ।

  7. स्वभाव से ही स्त्री में अधिक पुरुषार्थ करने की योग्यता नहीं होती। न ही स्त्री इतना क्रोध कर सकती है कि 7 वे नरक जा सके, और न ही इतना उच्चतम ध्यान की मोक्ष जा सके।

  8. श्वेताम्बर स्त्री अवस्था में मल्लीनाथ भगवान का मोक्ष मानते हैं, किन्तु दिगम्बर आम्नाय में मल्लीनाथ स्त्री नहीं पुरुष ही थे।
    जिनका संहनन (शरीर का एक प्रकार ) वज्रवृषभनाराच होता है वे ही मोक्ष जाने की क्षमता रखते हैं। कर्मभूमि की महिलाओं का यह संहनन होता ही नहीं है, अतः मोक्ष जाने में बाधक हैं।

  9. भोगभुमि में सभी पुरुष और महिला का संहनन वज्र वृषभ नाराच ही होता है, लेकिन भोगभूमि से मोक्ष किसी को भी नहीं होता, कारण की वहाँ पर चौथे गुणस्थान के आगे जाना ही संभव नहीं है ।

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