अनगार धर्मामृत में ऐसा आया है कि जिस महिला का मासिक धर्म चल रहा हो या फिर कोई पुरुष श्मशान से आया हो, उसके हाथ से आहार लेने को समान माना गया है, ये दोनों ही दायक दोष से युक्त होते हैं |
त्रिलोकसार में ऐसा आया है की जो पुष्पवती (मासिक धर्म से युक्त) स्त्री का संसर्ग कर कुपात्र में दान देता है वह कुमनुष्य में उत्पन्न होता है |
ज्ञानानंद श्रावकाचार में रजस्वला स्त्री को चाण्डालनि के समान बताया है | जिसके स्पर्श मात्र से पापड़, मंगोड़ी लाल हो जाते हैं | मासिक धर्म के समय स्त्री को महा पाप का उदय होता है | उसकी स्पर्श की हुई सारी वस्तुएं नहीं लेने योग्य हैं | चौथे, पाँचवे अथवा छठे दिन स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन कर भगवान के दर्शन कर वह पवित्र होती है | जो मनुष्य इस छुआछूत को नहीं मानते, वे भी चाण्डाल के समान हैं |
कुछ लोग तर्क करेंगे की ये तो स्त्रियों के साथ अन्याय है | पर कर्म कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करते | मायाचारी के फल में ये स्त्री पर्याय मिली है | अगर ऐसे कर्म न किये होते तो ये पर्याय ही नहीं मिलती | ये तो प्रकृति का सबसे बड़ा न्याय है |
- मासिक धर्म की मलिन दशा में अच्छे कार्य करने पर पुण्य बंध ना होकर पाप बंध ही होता है जिससे नीच गोत्र का बंध होता है।
- यदि किसी स्त्री को घृणा करना हो तो उन मलिन भावों से करना जिसकी देन " मासिक धर्म की मलिनता" है | मलिन भावों में मूल है मलिन शरीर को अपना मानना और इसी का लक्ष्य करके राग-द्वेष -कषाय रूप प्रवर्तन करना। यदि वास्तव में किसी को मासिक धर्म की गंदी दशा अच्छी नहीं लगती हो तो वह स्वप्न में भी गंदे भाव नहीं करेगी ताकि इस गंदी दशा का अल्पकाल में अभाव हो क्योंकि कारण के अभाव में कार्य का अभाव होता ही है |
- इसे छुआछूत कहकर छोड़ना नहीं चाहिए बल्कि पवित्र संस्कृति की देन जानकर मासिक धर्म संबंधी नियमों का पालन करके अपनी संस्कृति को पवित्र बनाने में सहयोगी बनना चाहिए और अपना जीवन शुद्ध बनाना चाहिए |
जब किसी वस्तु को रजस्वला स्त्री के स्पर्श करने से वो किसी और के स्पर्श अयोग्य हो जाती है, तो मासिक धर्म में जिनमंदिर आदि पवित्र स्थान पर जाने की बात तो आ ही नहीं सकती |
यदि किसी की होनहार भली होना होगी तो उसको यह भली बातें सच्ची और अच्छी लगेंगी और जीवन में पालन होंगी |
मासिक धर्म में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए इसके लिए मैंने कुछ समय पहले एक पोस्ट लिखी थी : Balancing your periods & religious activities: Women Special - Divya
आभार: ब्र. साक्षी दीदी, अभाना