निश्चय सम्यकदर्शन किस गुणस्थान से?

यहाँ तो स्पष्ट रूप से लिखा है कि शुद्धोपयोग के अभाव में मोह का नाश नहीं होता । यदि कोई कहें कि यहाँ तो सम्पूर्ण मोह के अभाव की बात होगी, सो ऐसा भी नहीं है, क्योंकि आचार्य जयसेन स्वयं मोह का अर्थ दर्शन मोह करते है:

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