तेरा ध्यान जब से किया है | tera dhyan jab se kiya hai

तेरा ध्यान जब से किया है, बदला मेरा जीवन भगवन्।
धन्य घड़ी धन्य वो पल है, धन्य है ऐसा मेरा जन्म।।टेक।।

वीतराग का दर्शन पूजन करने से,
भव-भव के बंधन सब यूंही कटते हैं।
जिन प्रतिमा की प्यारी मूरत लखने से,
परिणामों में निर्मल भाव प्रगटते हैं।।
जो भी शरण तेरी है आया, पार होता वही भगवन् ।।१।।

तीर्थंकर सर्वज्ञ हितकर होते हैं,
राग भाव के वो ही विजेता होते हैं।
दर्शन ज्ञान अनंत प्रभु के होते हैं,
बल अनंत आनंद भी जिनमें होते हैं।।
ऐसी परम मुद्रा को देखो, ध्यान में बैठे पद्मासन।।२।।

पंच कल्याणक उत्सव जब भी मनाते हैं:
सारी नगरी दुल्हन-सी हम सजाते हैं।।
गर्भ जन्म तपज्ञान कल्याणक मनाते हैं,
और प्रभु का मोक्ष-कल्याण मनाते हैं।
ऐसी परम प्रतिमा को देखों, जो भी बन जाती है भगवन् ।।३।।