सुन ले ध्यान लगा कर ध्यानी | sun le dhyan laga kr dhyani

सुन ले ध्यान लगा कर ध्यानी,
मत कर तू अब मन की मानी,
क्या तूने नरकों में जाने की है।
निश्चित मन में ठानी - २॥ टेक॥

भूल गया सब धर्म कर्म को पापों में भरमाया - २,
जीवन कपटाई में खायो नस-नस में है माया - २,
तेरी दो दिन की जिन्दगानी, क्यों करता खोट अज्ञानी,
क्या तूने नरकों में जाने की है निश्चित मन में ठानी ॥
सुन ले ध्यान लगाकर… ॥१॥

तेरा मेरा करते-करते नरभव व्यर्थ गवाया - २,
अंतसमय जब आन पड़े तो शीश पकड़कर रोया - २,
बन करके तूने अभिमानी कर ली अपनी ही नुकसानी,
क्या तूने नरकों में जाने कि निश्चित मन में ठानी।
सुन ले ध्यान लगाकर…॥२॥

चेत समय अब भी है चेतन, जो तू कहना माने - २,
अभय दया अरु दानशीलता को सच में तू जाने - २,
जीवन है दुनिया का पानी पाले मुक्ति की निशानी,
क्या तूने नरकों में जाने की है निश्चित मन में ठानी ।।
सुन ले ध्यान लगाकर… ॥३॥