शुद्धात्म सहज सुन्दरतम | Suddhatam sahaj sundartam

शुद्धात्म सहज सुन्दरतम, अनुभवन सहज सुन्दर होगा।
जिस क्षण आतम अनुभव होगा, वह क्षण भी स्वर्णिम क्षण होगा ॥ टेक ॥

शुद्धातम के श्रद्धान रूप, सम्यग्दर्शन सुन्दर होगा।
ज्यों-ज्यों थिरता होती जावे, आचरण सहज सुन्दर होगा॥ ॥
जब अन्तरंग सुन्दर होगा, तो बहिरंग भी सुन्दर होगा।
ध्रुव ध्येय परम सुन्दर, दीखे तो ध्यान सहज सुन्दर होगा॥ 2॥
चिंतन में वर्ते शुद्धातम, तो चिन्तन भी सुन्दर होगा।
हो वाच्य परम सुन्दर आतम, तो वचन सहज सुन्दर होगा॥ 3 ॥
क्या देखे पर की सुन्दरता, वहाँ केवल कर्म बंध होगा।
अन्तर मे निज शोभा देखो, कृतकृत्य सहज जीवन होगा॥ 4 ॥
तृप्ति होगी मुक्ति होगी, सब होने योग्य सहज होगा।
निश्चिंत रहो निज में ’ आत्मन्‌’ आनन्द प्रवाह अनन्त होगा ॥ 5 ॥

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Source: स्वरूप-स्मरण