Read to Achieve | A Quarantine Quiz


पब्लिक की अत्यधिक डिमांड पर
फिर एक बार
जिनस्वर प्रस्तुत करते हैं

   अंतर की ओर   
Quarantine Quiz

स्वाध्याय के सबसे अनुकूल अवसर में हम लाये हैं आपके लिए जिनस्वर क्विज़ की श्रंखला में 3 और क्विज़~

1.) श्री तत्त्वार्थ सूत्र जी क्विज़ – 01/04/20 - 11/04/20
2.) श्री महावीर जन्मोत्सव क्विज़ – 06/04/20
3.) श्री द्रव्यसंग्रह जी क्विज़ – 12/04/20 - 14/04/20

साथ मे आपके पास जीतने का मौका –
:red_gift_envelope: प्रतिदिन 3 विजेता
(3 × ₹100/-)
:gift: Overall 3 विजेता
प्रथम पुरस्कार- ₹1500/-
द्वितीय पुरस्कार- ₹1000/-
तृतीय पुरस्कार- ₹500/-

तो आज से ही कर दीजिए प्रारम्भ अपनी तैयारी!
और जोड़िये अपने साथ अन्य परिचित साधर्मियों को!

:point_right:t2: क्विज़ के नियम :point_left:t2:

1.) पुरस्कार प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन quiz में भाग लेना अनिवार्य है ।
2.) एक जैसे email ID से दो बार एक quiz में भाग नहीं ले सकते।
3.) Quiz का समय दोपहर १२ बजे से अगले दिन दोपहर १२ बजे तक रहेगा ।
4.) निर्णायक सदस्यों का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5.) ध्यान रखें कि प्रत्येक quiz में एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।
6.) चौदह दिनों तक quiz में भाग लेने वाले प्रथम तीन प्रतिभागियों को ही विशेष पुरस्कार दिया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए, संपर्क करें +917987476587 या [email protected] पर।

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PDF of Tattvarth Mani Pradeep:
Tatvaarth Mani Pradeep.pdf (800.2 KB)

PDF of Dravya Sangrah:
Dravya Sangrah.pdf

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जिनस्वर प्रस्तुत करते हैं
प्रथम Quarantine क्विज़

प्रथम दिन
ग्रन्थ- श्री तत्त्वार्थसूत्र जी
रचयिता- आचार्य उमास्वामी जी
अध्याय- प्रथम
टीका- डॉ.हुकमचंद जी भारिल्ल कृत “श्री तत्त्वार्थमणि प्रदीप”

क्विज़ के नियम~

1.) समय- 01/4/20 दोपहर 12 बजे से 02/4/20 दोपहर 12 बजे तक
2.) एक व्यक्ति मात्र एक email ID से भाग लेवें। दूसरी ID स्वीकार नहीं होगी।
3.) प्रतिदिन भाग लेने वालों को ही अंतिम विशेष पुरस्कार में चयनित किया जाएगा।
4.) समूह के निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
5.) ध्यान रखें, एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए +917987476587 पर कॉल करें। अथवा [email protected] पर सम्पर्क करें

:point_right:t2: नियमित अप्डेट्स के लिए हमारे समूहों से जुड़ें ~

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★ ◆ ★ ◆ ★

तो किसका है इंतज़ार?
हो जाइए तैयार।।

अन्य साधर्मियों को भी प्रतिभागिता हेतु प्रेरित करें।

अन्य जैन समूहों में प्रेषित करना न भूलें।

~ टीम जिनस्वर

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Day 1 Quiz Answers
Tatvartha Sutra Adhyaya 1

1.सम्यग्दर्शन में दर्शन शब्द का अर्थ क्या नहीं है?
1. प्रतीति (:x:)
2. सामान्य अवलोकन (:white_check_mark:)
3. विश्वास(:x:)
4. देखना (:white_check_mark:)
(सूत्र १ - सम्यग्दर्शन में दर्शन शब्द का अर्थ प्रतीति और विश्वास है।)

2.इसमें से कौन सा कथन सही नहीं है-
1. निसर्गज सम्यग्दर्शन बिना देशना लब्धि के होता है। (:white_check_mark:)
(सभी सम्यग्दर्शन देशना लब्धि पूर्वक ही होते हैं)
2. निसर्गज और अधिगमज सम्यकदर्शन में मात्र अंतरंग निमित्त का अंतर है। (:white_check_mark:)
(निसर्गज और अधिगमज सम्यकदर्शन में मात्र बहिरंग निमित्त का अंतर है)
3. स्वभाव से होने से और परोपदेश से होने से सम्यग्दर्शन में अंतर पड़ जाता है। (:white_check_mark:)
(स्वभाव से होने से और परोपदेश से होने से सम्यग्दर्शन में कोई अंतर नहीं पड़ता है।)
4. सम्यग्दर्शन के उत्पन्न होने रूप कार्य की विधि का नियामक, तत् समय की योग्यता रूप क्षणिक उपादान कारण है। (:white_check_mark:)
(सम्यग्दर्शन के उत्पन्न होने रूप कार्य की विधि का नियामक, अनंतरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय के व्यय रूप क्षणिक उपादान कारण है।)
(सभी वाक्य सही नहीं है)

3.निक्षेपों के सम्बन्ध में इसमें से कौन-से कथन सही हैं-

  1. ‘यथा नाम तथा गुण’ का सिद्धान्त नाम निक्षेप में लागू होता है।(:x:)
    (‘यथा नाम तथा गुण’ का सिद्धान्त नाम निक्षेप में लागू नहीं होता है।)
  2. स्थापना दो प्रकार की होती है- तदाकार और अतदाकार। (:white_check_mark:)
  3. समवसरण में स्थित जिनेंद्र देव द्रव्य-जिन हैं। (:x:)
    (समवसरण में स्थित जिनेंद्र देव भाव-जिन हैं।)
  4. व्यक्ति को पूजन करते समय पुजारी कहना, भाव निक्षेप का उदाहरण है। (:white_check_mark:)

4.प्रमाण

  1. सकल देश को विषय करने वाला ज्ञान (:white_check_mark:)
  2. केवलज्ञान (:white_check_mark:)
  3. मतिज्ञान (:white_check_mark:)
  4. श्रुत विकल्प(:x:)
    (श्रुत विकल्पा नया:)

5.रत्नत्रय और जीवादि तत्त्वों को जानने के उपाय

  1. प्रमाणनयैरधिगम: (:white_check_mark:)
  2. निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरणस्थितिविधानत: (:white_check_mark:)
  3. सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालांतरभावाल्पबहुत्वैश्च (:white_check_mark:)
  4. नैगमसंग्रहव्यवहारर्जुसूत्रशब्दसमभिरुढैवंभूतानया:(:white_check_mark:)

6.मतिज्ञान के पर्यायवाची नाम है-

  1. स्मृति (:white_check_mark:)
  2. अनुमान (:white_check_mark:)
  3. आगम(:x:)
    (आगम द्रव्य श्रुत है।)
  4. प्रत्यभिज्ञान (:white_check_mark:)

7.अवग्रह के कितने भेद हैं?

  1. 336(:x:)
  2. 120 (:white_check_mark:)
  3. 2 (:white_check_mark:)
  4. 72(:x:)
    (अवग्रह के २ भेद हैं- व्यंजनावग्रह और अर्थावग्रह, व्यंजनावग्रह के ४८ और अर्थावग्रह के ७२- कुल १२० भेद)

8.अवधिज्ञान के संदर्भ में क्या ग़लत है?

  1. नारकी और देवों को गुण प्रत्यय अवधिज्ञान होता है। (:white_check_mark:)
    (नारकी और देवों को भव प्रत्यय अवधिज्ञान होता है।)
  2. कृष्ण पक्ष के चंद्रमा की कलाओं की भाँति जो बढ़ता है, वह हीयमान अवधिज्ञान है। (:white_check_mark:)
    (कृष्ण पक्ष के चंद्रमा की कलाओं की भाँति जो घटता है, वह हीयमान अवधिज्ञान है।)
  3. तीर्थंकरों को जन्म से गुण-प्रत्यय अवधि ज्ञान होता है। (:white_check_mark:)
    (तीर्थंकरों को जन्म से भव प्रत्यय अवधि ज्ञान होता है।)
  4. अवधि ज्ञान चारों गतियों में सम्भव है।(:x:)
    (अवधि ज्ञान चारों गतियों में सम्भव है।)

9.एक आत्मा में एक साथ कुल ज्ञान कितने हो सकते है?

  1. मति, अवधि(:x:)
  2. मति(:x:)
  3. केवलज्ञान (:white_check_mark:)
  4. अवधि, मन:पर्यय(:x:)
    (आत्मा में कुल ज्ञानों की व्यवस्था - एक हो तो केवलज्ञान, दो हों तो मति-श्रुत, तीन हों तो मति-श्रुत-अवधि/मति-श्रुत-मन:पर्यय, चार हों तो मति-श्रुत-अवधि-मन:पर्यय)

10.अवधि और मन:पर्यय ज्ञान में अंतर-

  1. अवधिज्ञान के स्वामियों की संख्या मन:पर्ययज्ञान के स्वामियों की संख्या से अधिक है। (:white_check_mark:)
  2. मन:पर्ययज्ञान से अवधिज्ञान अधिक विशुद्धि वाला है।(:x:)
    (अवधिज्ञान से मन:पर्ययज्ञान अधिक विशुद्धि वाला है।)
  3. अवधिज्ञान ढाई द्वीप के भीतर की ही बात जानता है।(:x:)
    (अवधि ज्ञान का विषय तीन लोक के रूपी पदार्थ हैं)
  4. परिणामों की विशुद्धि और अप्रतिपात की अपेक्षा दोनों में अंतर है।(:x:)
    (परिणामों की विशुद्धि और अप्रतिपात की अपेक्षा ऋजुमति और विपुलमति मन: पर्यय ज्ञान में अंतर है।)

11.मति-श्रुत ज्ञान का विषय है -

  1. सर्व द्रव्यों की सर्व पर्यायें(:x:)
  2. कुछ द्रव्यों की सर्व पर्यायें(:x:)
  3. कुछ द्रव्यों की कुछ पर्यायें(:x:)
  4. सर्व द्रव्यों की कुछ पर्यायें (:white_check_mark:)
    (मति-श्रुत ज्ञान का विषय सर्व द्रव्यों की कुछ पर्यायें हैं।)

12.विषयों की अपेक्षा से ज्ञान का घटता क्रम होगा-

  1. केवल, मति-श्रुत, मन:पर्यय, अवधि(:x:)
  2. मति-श्रुत, अवधि, मन:पर्यय, केवल(:x:)
  3. केवल, मति-श्रुत, अवधि, मन:पर्यय (:white_check_mark:)
  4. केवल, अवधि, मति-श्रुत, मन:पर्यय(:x:)
    (विषयों की अपेक्षा से ज्ञान का घटता क्रम केवल, मति-श्रुत, अवधि, मन:पर्यय होगा।)

13.इनमें से कौन-से ज्ञान मिथ्या भी होते है?

  1. अवधिज्ञान (:white_check_mark:)
  2. मन:पर्ययज्ञान(:x:)
  3. केवलज्ञान(:x:)
  4. मतिज्ञान (:white_check_mark:)
    (मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान सम्यक भी होते हैं और मिथ्या भी होते हैं।)

14.नैगम आदि सप्त नयों के संन्दर्भ में -

  1. निश्चय नय के विरुद्ध व्यवहार नय है।(:x:)
    (संग्रह नय के विरुद्ध व्यवहार नय है।)
  2. ऋजुसूत्र नय पर्यायार्थिक नय है। (:white_check_mark:)
  3. शब्द नय के दो प्रकार है- समभिरूढ़ नय और एवंभूत नय।(:x:)
    (शब्द नय के तीन प्रकार है- शब्द समभिरूढ़ नय और एवंभूत नय।)
  4. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भूत नैगम नय का एक उदाहरण है। (:white_check_mark:)

15.सर्वज्ञ सिद्धि-

  1. ‘अरहंत को सर्वज्ञ सिद्ध करना’, विशेष सर्वज्ञ-सिद्धि है। (:white_check_mark:)
  2. ‘लोक में सर्वज्ञ की सत्ता सिद्ध करना’, सामान्य सर्वज्ञ-सिद्धि है। (:white_check_mark:)
  3. ‘महावीर को सर्वज्ञ सिद्ध करना’, विशेष सर्वज्ञ-सिद्धि है।(:x:)
  4. ‘अरहंत को सर्वज्ञ सिद्ध करना’, सामान्य सर्वज्ञ-सिद्धि है।(:x:)
    (‘लोक में सर्वज्ञ की सत्ता सिद्ध करना’, सामान्य सर्वज्ञ-सिद्धि है। ‘अरहंत को सर्वज्ञ सिद्ध करना’, विशेष सर्वज्ञ-सिद्धि है।)
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Day 2 Quiz
Adhyaya 2

  1. निम्न भावों का काल है~
  • औेदयिक - सादि-सांत(:x:) [भव्य की अपेक्षा अनादिसांत , अभव्य की अपेक्षा अनादि अनंत]
  • औपशमिक - अनादि-सांत(:x:)[सादिसांत]
  • क्षायिक - सादि-अनंत (:white_check_mark:)
  • पारिणामिक - अनादि-अनंत (:white_check_mark:)
  1. निम्न भावों के भेद हैं~
  • क्षायिक - 9 (:white_check_mark:)
  • पारिणामिक - 2(:x:)[3 भेद हैं]
  • औपशमिक - 3(:x:)[2 भेद हैं]
  • क्षायोपशमिक - 18 (:white_check_mark:)
  1. सम्यक्त्व और चारित्र किसके भेद हैं?
  • क्षायोपशमिक भाव (:white_check_mark:)
  • औेदयिक भाव (:x:)
  • औपशमिक भाव (:white_check_mark:)
  • पारिणामिक भाव(:x:)
  1. उपयोग के विषय में कौन-कौन से कथन सही होंगे?
  • उपयोग आत्मा का अनात्मभूत लक्षण है।(:x:)[उपयोग आत्मा का आत्मभूत लक्षण है]
  • उपयोग आत्मा का स्वरूप और लक्षण दोनों है। (:white_check_mark:)
  • ज्ञानोपयोग में सम्यक और मिथ्या के भेद होते हैं, दर्शनोपयोग में नहीं होते। (:white_check_mark:)
  • क्षदमस्थ के ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग साथ में ही होते है।(:x:)[केवलज्ञानी के ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग साथ में ही होते है]
  1. इन्द्रियों के भेद-प्रभेद के संदर्भ में कौन-कौन से कथन सही होंगे?
  • यहां इन्द्रियों के रूप में कर्मेन्द्रियों को ही ग्रहण किया है, ज्ञानेंद्रियों को नहीं। (:x:) [यहां इन्द्रियों के रूप में ज्ञानेंद्रियों को ही ग्रहण किया है, कर्मेन्द्रियों को नहीं।]
  • चक्षु का काला-सफेद मण्डल बाह्य उपकरण है।(:x:)[चक्षु का काला-सफेद मण्डल अभ्यंतर उपकरण है]
  • पांचों इंद्रियों के दो-दो भेद हैं। (:white_check_mark:)
  • लब्धि और उपयोग ही भावेन्द्रियाँ है। (:white_check_mark:)
  1. विग्रह-गति के संदर्भ में निम्न कथन सही होंगे~
  • विग्रह गति में नए कर्मों का आस्रव नहीं होता।(:x:)[विग्रह गति में नए कर्मों का आस्रव होता है]
  • एक मोड़ा लेकर उत्पन्न होने वाले जीव एक समय अनाहारक रहता है। (:white_check_mark:)
  • सिद्ध अवस्था को प्राप्त जीव एक समय में 14 राजू गमन करता है।(:x:)[सिद्ध अवस्था को प्राप्त जीव एक समय में 7 राजू गमन करता है।]
  • एक मोड़ा लेकर उत्पन्न होने वाला जीव एक समय आहारक रहता है। (:white_check_mark:)[एक मोड़ा लेकर उत्पन्न होने वाला जीव दो समय के लिए विग्रहगति में रहता है, जिसमें से एक समय के लिए वह अनाहारक रहता है और एक समय आहारक रहता है।]
  1. गर्भ जन्म वाले की कौन-सी योनि नहीं होती है?
  • सम्वृत विवृत(:x:)
  • सम्वृत (:white_check_mark:)
  • शीतोष्ण(:x:)
  • ऊष्ण(:x:)

[गर्भ जन्म वाले की सचित्त, अचित्त, शीत, उष्ण, शीतोष्ण तथा सम्वृत-विवृत योनि होती है।]

  1. औदारिक-वैक्रियिकाहारक-तैजस-कार्मणानिशरीराणि"- इस सूत्र से सम्बंधित निम्न कथन सही होंगे~
  • परं परं स्थूलं (:x:)[परं परं सूक्ष्मं]
  • आहारक शरीर देवों के होता है। (:x:) [देवों के वैक्रियक शरीर होता है।]
  • वैक्रियक शरीर के प्रदेश औदारिक से संख्यात गुना होते हैं। (:x:)[वैक्रियक शरीर के प्रदेश औदारिक से असंख्यात गुना होते हैं।]
  • वैक्रियक शरीर उपपाद जन्म से होता है। (:white_check_mark:)
  1. तैजस और कार्मण शरीर की विशेषतायें निम्न सूत्र स्पष्ट करते हैं-
  • अनादि संबंधे च (:white_check_mark:)
  • अप्रतिघाते (:white_check_mark:)
  • असंख्ये गुणे परे (:x:)[अनंत गुणे परे]
  • सर्वस्य (:white_check_mark:)
  1. ये शरीर एक साथ पाए जा सकते है-
  • कार्मण(:x:)[तैजस और कार्मण शरीर सभी संसारी जीवों के होता है।]
  • तैजस, कार्मण, वैक्रियक (:white_check_mark:)
  • तैजस, कार्मण, आहारक, वैक्रियक(:x:)[आहारक और वैक्रियक शरीर एक साथ नहीं होते]
  • तैजस, कार्मण, औदारिक आहारक (:white_check_mark:)
  1. विभिन्न जन्म वालों का लिंग विधान के संदर्भ में निम्न कथन सही होंगे~[५०-५२ सूत्र]
  • उपपाद जन्म वालों के नपुंसक लिंग ही होता है।(:x:)[उपपाद जन्म वाले नारकियों के नपुंसक लिंग ही होता है।]
  • सम्मूर्च्छन जीवों के स्त्री वेद ही होता है।(:x:)[सम्मूर्च्छन जीवों के नपुंसक वेद ही होता है।]
  • भोग भूमि में पुरुष वेद और स्त्री वेद वाले ही होते हैं। (:white_check_mark:)
  • कर्म भूमि के तिर्यंचो के तीनों वेद होते हैं। (:white_check_mark:)
  1. आहारक शरीर के लिए कौन-कौन सी योग्यता होना आवश्यक है?
  • मनुष्य भव (:white_check_mark:)
  • छठवाँ गुणस्थान (:white_check_mark:)
  • पीड़ित लोगों को देखकर तपस्वी के हृदय में करुणा भाव का उत्पन्न होना।(:x:)[शुभ तैजस शरीर के लिए पीड़ित लोगों को देखकर तपस्वी के हृदय में करुणा भाव का उत्पन्न होना आवश्यक है।]
  • आचार्य पद पर होना(:x:)[साधु पद पर होना]
  1. आयु के संबंध में-
  • चरमोत्तम देह वालों की दो आयु होती है- भुज्यमान आयु और बध्यमान आयु(:x:)[चरमोत्तम देह वालों की मात्र भुज्यमान आयु होती है।]
  • आयु कर्म की उदीरणा होना ही अकाल मृत्यु है। (:white_check_mark:)
  • अकाल मृत्यु असमय में मृत्यु होने की सूचक है।(:x:)[अकाल मृत्यु असमय की सूचक न होकर काल के अतिरिक्त मुख्य रूप से अन्य कारणों से होने वाली मृत्यु की सूचक है।]
  • भुज्यमान आयु की स्थिति में सभी का अपकर्षण हो सकता है।(:x:)[बध्यमान आयु की स्थिति में सभी का अपकर्षण हो सकता है।]
  1. इनमें से किनकी अनपवर्त आयु होती है-
  • सभी मनुष्य(:x:)[मात्र भोग भूमि के मनुष्य]
  • सभी देव (:white_check_mark:)
  • उसी भव से मोक्ष जाने वाले (:white_check_mark:)
  • भोग भूमि के तिर्यंच (:white_check_mark:)
  1. इंद्रियों के विषय व स्वामी के संदर्भ में निम्न कथन सही हैं~
  • पाँचों इंद्रियों के कुल पाँच विषय हैं।(:x:)[पाँचों इंद्रियों के कुल २७ विषय हैं।]
  • श्रुतज्ञान असंज्ञी को नहीं होता है।(:x:)[असंज्ञी को मति और श्रुत दोनों ज्ञान होते है।]
  • श्रोत इंद्रिय का विषय श्रुत है।(:x:)[श्रोत इंद्रिय का विषय शब्द है।]
  • कृमि, पिपीलिका, भ्रमर, मनुष्य आदि के क्रमशः एक-एक इंद्रिय बढ़ती जाती है। (:white_check_mark:)
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अध्याय क्रमांक 3

  1. इनमें से कौन-कौन से कथन सही हैं?

A. पद्म सरोवर दस लाख योजन अवगाह वाला है।

B. पद्म सरोवर के बीच एक योजन का कमल है।

C. तिगिंछ सरोवर तीस लाख योजन अवगाह वाला है।

D. तिगिंछ सरोवर के बीच दो योजन का कमल है।

Ans. B,D(तिगिंछ सरोवर के बीच चार योजन का कमल है। अतः यह option गलत है- और इस कारण quiz में सभी का यह option सही किया गया है।) आगे से यह गलती ना हो, इसका ध्यान रखा जाएगा।

(सूत्र 14 से 19)

  1. नरक में निम्न लेश्याएँ पायी जाती हैं~

A. कृष्ण

B. नील

C. परम कृष्ण लेश्या

D. परम नील लेश्या

Ans. A, B, C

(परम नील लेश्या होती ही नही है, सूत्र 3)

  1. इनमें से क्या सही है?

A. सागर > अद्धा पल्य

B. उद्धार पल्य < व्यवहार पल्य

C. अद्धा पल्य > उद्धार पल्य

D. 1 कोड़ाकोड़ी अद्धा पल्य = सागर

Ans. A, C

(सूत्र 6 के भावार्थ में)

  1. इनमें से कौन-से वाक्य सही हैं?

A. नरक गति के बाद तिर्यंच गति में जन्म हो सकता है।

B. नरक गति के बाद एक इन्द्रिय में जन्म हो सकता है।

C. देव गति के बाद तिर्यंच गति में जन्म हो सकता है।

D. देव गति के बाद एक इन्द्रिय में जन्म हो सकता है।

Ans. A, C, D

(नरक गति के बाद जीव नियम से सैनी पंचेन्द्रिय होता है)

  1. इनमें से कौन-कौन से पर्वत हैं?

A. हिमवन

B. रम्यक

C. शिखरिण

D. विजयार्ध

Ans. A, C, D

(सूत्र 11, रम्यक एक क्षेत्र है)

  1. नदियों के संदर्भ में इनमें से कौन-से कथन सही हैं?

A. सात नदियां उत्तर में हैं और सात दक्षिण में

B. सात नदियां पश्चिम में बहती हैं और साथ पूर्व में

C. तिगिंछ सरोवर से केवल हरित और सीतोदा नदियाँ बहती हैं

D. पद्म सरोवर से केवल गंगा और सिंधु नदियाँ बहती हैं

Ans. B, C

(सूत्र 20, 21, 22)

  1. विजयार्ध पर्वत किन-किन क्षेत्रों में हैं?

A. विदेह क्षेत्र

B. भरत क्षेत्र

C. रम्यक क्षेत्र

D. ऐरावत क्षेत्र

Ans. A, B, D

(भारत क्षेत्र, ऐरावत क्षेत्र के अलावा विदेह क्षेत्र के 32 नगरियों में प्रत्येक में 1-1 विजयार्ध पर्वत है)

  1. सुमेरु पर्वत के चारों ओर कौन-कौन से वन हैं?

A. नंदन वन

B. सौमनस वन

C. अशोक वन

D. पाण्डुक वन

Ans. A, B, D

(पृष्ठ 160)

  1. इनमें से कौन-कौन से क्रम सही हैं?

A. ऐरावत - रम्यक - हेमवत - हरि

B. तिगिंछ - केसरी - महापद्म - पद्म

C. महाहिमवन - हिमवन - निषध - नील

D. पुष्करवर - वारूणीवर - क्षीरवर - घृतवर

Ans. D

(सूत्र 7, 10, 11, 14)

  1. भरत क्षेत्र का विस्तार कितना है?

A. 525 6/19

B. 526 6/19

C. जम्बूद्वीप का 190वां भाग

D. जम्बूद्वीप का 90वां भाग

Ans. B, C

(सूत्र 24, 32)
11. त्रेसठ शलाका पुरुष के संदर्भ में, इनमें से कौन-कौन से विकल्प सही हैं?

A. 24 तीर्थंकर, 9 नारायण, 12 कामदेव, 9 प्रतिनारायण, 9 बलभद्र

B. 24 तीर्थंकर, 9 नारायण, 11 कामदेव, 9 प्रतिनारायण, 12 चक्रवर्ती

C. 20 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 बलभद्र, 9 प्रतिनारायण

D. 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायण, 9 बलभद्र

Ans. D

(पृष्ठ 165)

  1. इस हुन्डावसर्पिणी काल में क्या अनोखी चीज़ें घटी हैं?

A. तृतीय काल में अजितनाथ तीर्थंकर की उत्पत्ति

B. चक्रवर्ती का मान भंग

C. राजा ऋषभदेव के घर में पुत्रियों का जन्म

D. तृतीय काल मे आदिनाथ प्रभु को मोक्ष प्राप्ति

Ans. B,C,D

(पृष्ठ 166)

  1. एक पूर्व सत्तर लाख छप्पन हज़ार करोड़ वर्ष का होता है।

A. सही

B. गलत

Ans. A

(पृष्ठ 167)

  1. मनुष्य जीव किसी भी अवस्था में मनुष्य लोक से बाहर नहीं पाए जा सकते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. B

(पृष्ठ 169)

  1. मेरु संबंधी में इनमें से कौन-कौन से कथन- सही हैं?

A. कुल तीन द्वीप में पांच मेरु स्थित हैं

B. पांचों मेरुओं की ऊंचाई एक समान है

C. पश्चिम-पुष्करार्ध के विदेह क्षेत्र में मंदर मेरु है

D. पूर्व धातकीखण्ड के विदेह क्षेत्र में विजय मेरु है

Ans. A, D

(पृष्ठ 170)

  1. म्लेच्छ दो प्रकार के होते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. A

( सूत्र 36)

  1. 15 कर्मभूमियाँ कहाँ-कहाँ हैं?

A. पाँच भरत में, पाँच ऐरावत में एवंदेवकुरु-उत्तरकुरु सहित पाँच विदेह में।

B. पाँच भरत में, पाँच ऐरावत में एवं देवकुरु-उत्तरकुरु रहित पाँच विदेह में।

C. सभी क्षेत्रों में दो - दो और विदेह में तीन।

D. भरत और ऐरावत में दो - दो और विदेह में ग्यारह।

Ans. B

(सूत्र 37)

  1. निम्न में से सही कथन होंगे~

A. जलकायिक जीवों की जघन्य आयु सात हजार वर्ष होती है।

B. पांच इन्द्रिय छोड़ सभी की जघन्य आयु एक अन्तर्मुहूर्त होती है।

C. दो इन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट आयु बारह वर्ष होती है।

D. तीन इन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट आयु 39 रात दिन होती है।

Ans. C

(सूत्र 38, 39)

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In question number 10,
भरत क्षेत्र का विस्तार मात्र 526 6/19 नहीं बल्कि 526 6/19 योजन हैं।
That’s why option B should not be considered correct.

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कृपया विदेह क्षेत्र में विजयार्ध पर्वत है इसके लिए सूत्र नंबर या पृष्ठ नंबर बताये।(question number 7)

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अध्याय क्रमांक 4

  1. इनमें से क्या सही है?

A. नारकी मध्यलोक में नहीं रहते।

B. तिर्यंच उर्ध्वलोक में नहीं रहते।

C. मनुष्य केवल मध्यलोक में ही रहते हैं।

D. देव अधोलोक में नहीं रहते।

Ans. A,C

(सभी सुक्ष एकइन्द्रीय ऊर्ध्वलोक में पाए जाते हैं, भवनवासी, व्यंतर देव अधोलोक में रहते हैं।)

  1. देव किसे कहते हैं?

A. जिनका देवगति नामकर्म का उदय है।

B. जो द्वीप - समुद्रादि में बिना इच्छा के गमन करते हैं।

C. जिनका मनुष्य गति नामकर्म का अनुदय है।

D. जिनका अंतिम भव शेष हो।

Ans. A

(सूत्र 1)

  1. कल्पोपन्न देव कहाँ कहाँ रहते हैं?

A. शतार में

B. विजय में

C. नव ग्रैवेयक में

D. ब्रह्म में

Ans. A, D

(सूत्र 16, 17)

  1. देवों के आयु के प्रारंभ में अन्तर्मुहूर्त तक अशुभ लेश्या रह सकती है।

A. सही

B. गलत

Ans. A

(भवनवासी, व्यंतर, ज्योतिषी देवों की अपर्याप्त अवस्था में आरम्भ की तीन अशुभ लेश्याएँ पायी जाती है)

  1. भवनवासियों में 16 और व्यंतरों में 20 इंद्र होते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. B

(सूत्र 6)

  1. इनमें से कौन से वाक्य सही हैं?

A. दिन और रात की गति चंद्रमा की गति से तथा पक्ष और माह की गति सूर्य की गति से सुनिश्चित होती हैं।

B. दिन और रात की गति सूर्य की गति से तथा पक्ष और माह की गति चंद्रमा की गति से सुनिश्चित होती हैं।

C. दिन, रात, माह और पक्ष सब की गति मात्र सूर्य की गति से सुनिश्चित होती हैं।

D. दिन, रात, माह और पक्ष सब की गति चंद्रमा की गति से सुनिश्चित होती हैं।

Ans. B

(सूत्र 12, 13, 14, 15)

  1. जयंत विमान में प्रविचार कैसे होता है?

A. स्पर्श मात्र से

B. रूप मात्र से

C. प्रविचार रहित होते हैं

D. विचार मात्र से

Ans. C

(सूत्र 9)

  1. घृतवर द्वीप में काल परिवर्तन ज्योतिषी देवों के गमन के आधार पर होता है।

A. सही

B. गलत

Ans. B

(ढाई द्वीप में ही काल परिवर्तन मतलब दिन रात का भेद ज्योतिषी देवों के गमन के आधार पर होता है)

  1. इनमें से कौन कौन से क्रम नीचे से ऊपर की ओर जाते हुए सही हैं?

A. तारागण - सूर्य - चंद्रमा - नक्षत्र

B. शुक्र - बृहस्पति - मंगल - सूर्य

C. सूर्य - शुक्र - बृहस्पति - नक्षत्र

D. नक्षत्र - बुध - शुक्र - बृहस्पति

Ans. A, D

(पृष्ठ 187)

  1. इनमें से कौनसे विकल्प सही हैं?

A. सौधर्म स्वर्ग के देवों की आयु < लांतव स्वर्ग के देवों की आयु

B. शुक्र स्वर्ग के देवों का परिग्रह > शतार स्वर्ग के देवों का परिग्रह

C. सनत्कुमार स्वर्ग के देवों का सुख = माहेन्द्र स्वर्ग के देवों का सुख

D. अपराजित के देवों का अभिमान < कापिष्ठ के देवों का अभिमान

Ans. A, B, D

(सूत्र 20, 21)

  1. माहेन्द्र और सहस्त्रार स्वर्ग में पीत लेश्या होती है।

A. सही

B. गलत

Ans. B

(सूत्र 22)

  1. सिद्धालय के अलावा तिर्यंच जीव सम्पूर्ण लोकाकाश में पाए जाते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. B

(सिद्धालय में एकइन्द्रीय जीव पाए जाते हैं)

  1. लौकांतिक देवों की क्या-क्या विशेषताएं हैं?

A. एक भवावतारी होते हैं।

B. ब्रह्मचारी होते हैं।

C. ये सभी मात्र इंद्र के अधीन होते हैं।

D. ये चौदह पूर्व के पाठी होते हैं।

Ans. A, B, D

(सूत्र 24, 25)

  1. अपराजित के देव एक भवावतारी भी हो सकते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. A

(नौ अनुदिश तथा चार अनुत्तरों के देव एक भव धारण करके भी मोक्ष जा सकते हैं)

  1. सौधर्म स्वर्ग के लोकपाल एक भव अवतारी होते हैं।

A. सही

B. गलत

Ans. A

(पृष्ठ 199)

  1. इनमें से कौन कौन से वाक्य आयु/ स्थिति के संदर्भ में सही हैं?

A. सौधर्म की जघन्य = सानत्कुमार की जघन्य

B. कापिष्ठ की उत्कृष्ट > ब्रह्म की जघन्य > सौधर्म की जघन्य

C. चौथे ग्रैवेयक < ज्योतिष की उत्कृष्ट

D. ऐशान की जघन्य = व्यंतर की उत्कृष्ट = ज्योतिष की उत्कृष्ट

E. लौकांतिक की उत्कृष्ट > ब्रह्म की जघन्य > माहेन्द्र की जघन्य

F. आरण की जघन्य > सहस्त्रार की उत्कृष्ट > कापिष्ठ की जघन्य

G. व्यंतर की जघन्य = ज्योतिष की जघन्य = सौधर्म की जघन्य

H. ज्योतिष की जघन्य < व्यंतर की उत्कृष्ट < पांचवे अनुदिश की जघन्य

Ans. B, D, E, F, H

(सूत्र 28 से 38)

  1. ज्योतिष देवों के कितने प्रकार हैं?

  2. चार

  3. पांच

  4. छह

  5. सात

Ans. B

(सूत्र 12)

  1. कापोत लेश्या का रंग कैसा है?

  2. भौरें के समान काल

B. कबूतर के समान सलेटी

Ans. B

(सूत्र 2)

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  1. पांचवे अध्याय में किसका वर्णन है?

A. जीव द्रव्य के द्रव्य स्वभाव का

B. पुद्गल द्रव्य का

C. पुद्गल की पर्यायों का

D. शुभ आस्रव का

Ans. A, B,C

(पाँचवे अधिकार में पुद्गल का वर्णन तो है ही साथ ही इसके सूत्र २९-३० में द्रव्य सामान्य का भी वर्णन होने से इसमें जीव द्रव्य के द्रव्य स्वभाव जा भी वर्णन है ।)

  1. जीव को सुखी-दुखी, जन्म-मरण कौन-सा द्रव्य कराता है?

A. पुद्गल

B. आकाश

C. काल

D. इनमें से कोई नहीं

Ans. D

एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ भी नहीं करता मात्र निमित्त होता है ।(सूत्र : २०)

  1. कितने द्रव्य अजीव हैं?

A. पांच

B. अनंत

C. चार

D. दो

Ans. A,B

OR

  1. द्रव्य होते हैं?

A. छह

B. सात

C. नौ

D. अनंत

Ans. A, D

(द्रव्य जाति अपेक्षा ६ है और संख्या अपेक्षा अनंत ।)

  1. गुण का अस्तित्व कैसा है?

A. अपने द्रव्य एवं अन्य गुणों के आश्रित

B. अपने द्रव्य से निराश्रित एवं अन्य गुणों के आश्रित

C. सभी द्रव्यों से आश्रित एवं अन्य सभी गुणों से निराश्रित

D. अपने द्रव्य से आश्रित एवं उसके अन्य गुणों से निराश्रित

Ans. D

(सूत्र :४१)

  1. यदि, कोई एक परमाणु जो रूक्ष जाति का है और उसके अविभागी अंश का मान 3 है, उसका वर्णन/प्रतिनिधित्व {रूक्ष, 3} इस रूप से किया जाता है; तथा, एक परमाणु जो स्निग्ध जाति का है और उसके अविभागी अंश का मान 5 है, उसका वर्णन/प्रतिनिधित्व {स्निग्ध, 5} इस रूप से किया जाता है। तथा, “+” चिन्ह स्कन्ध बनने का प्रतीक है। एवं, “=” चिन्ह के बाईं ओर आई हुई वस्तु का स्कन्ध बनने पर दाईं ओर आई हुई वस्तु बनेगी, ये चिन्ह इस अर्थ को धारण किये हुए है।

तो बताइए, कि निम्न में से कौन-कौन से समीकरण सही हैं– 6points

A. परमाणु {स्निग्ध, 5} + परमाणु {स्निग्ध, 6} = स्कन्ध {स्निग्ध, 6}

B. परमाणु {स्निग्ध, 5} + परमाणु {स्निग्ध, 7} = स्कन्ध {स्निग्ध, 12}

C. परमाणु {स्निग्ध, 5} + परमाणु {रूक्ष, 7} = परमाणु {रूक्ष, 7}

D. परमाणु {रूक्ष, 1} + परमाणु {रूक्ष, 3} = स्कन्ध {रूक्ष,3}

E. परमाणु {रूक्ष, 3} + परमाणु {स्निग्ध, 5} = स्कन्ध {रूक्ष, 5}

F. परमाणु {रूक्ष, 3} + परमाणु {रूक्ष, 5} = स्कन्ध {रूक्ष, 5}

Ans. C F

(सूत्र ३३-३७. कुछ सामान्य नियम इस प्रकार है :

१. सामान्य गुणांश में बंध नहीं होता ।

२. जघन्य गुणांश में बंध नहीं होता ।

३. जब गुणांशों में दो गुणांश का अंतर हो तब ही बंध होता है।

४. बंध होने पर स्कन्ध उस परमाणु की जाति और गुणांश ग्रहण करता है पहले जिसका गुणांश अधिक था।)

  1. सूत्र क्रमांक 33-37 से, क्या सिद्धांत निकाले जा सकते हैं?

A. जघन्य गुण सहित परमाणु का बंध नहीं होता

B. समान गुण वाले पुद्गलो में बंध नहीं होता

C. मंद कषाय अबन्ध रूप होने से उपादेय है

D. बंध के समय कोई सिद्धांत प्रयोग नहीं होते

Ans. A,B

(सूत्र 33 से 37)

  1. कौन-सा द्रव्य लोकप्रमाण असंख्यात प्रदेशी है?

A. आकाश

B. जीव

C. धर्मास्तिकाय

D. काल

Ans. B, C

(काल एक प्रदेशी है, आकाश एक अखंड द्रव्य होने से अनंत प्रदेशी है।)

  1. जीव, आपस में एक-दूसरे का उपकार कैसे करते हैं?

A. सुखी करके

B. उपकार का अर्थ मात्र निमित्त होना है

C. सेवा करके

D. मृत्यु में निमित्त बनकर.

Ans. B,D

(उपकार का अर्थ मात्र निमित्त बनना है।, सूत्र 20)

  1. मैं आत्मा, सत् होने से ____ से युक्त हूँ।

A. उत्पाद

B. व्यय

C. ध्रौव्य

D. मूर्तत्व

Ans. A,B,C

(सूत्र 29, 30)

  1. उत्पाद-व्यय और ध्रौव्य एक दूसरे के स्वभाव से विपरीत होने से एक साथ एक द्रव्य में नहीं पाए जा सकते। (2points)

A. सही

B. गलत

Ans. B

(सूत्र 29,30)

  1. मुख्यता और गौणता रूपी स्याद्वाद से द्रव्य की सिद्धि होती है। (2points)

A. सही

B. गलत

Ans. A

  1. अवगाहना में निमित्त होना किस द्रव्य का कार्य है?

A. जीव

B. धर्मास्तिकाय

C. आकाश

D. काल

Ans. C

(सूत्र 18)

  1. काल द्रव्य ____ है।

A. बहुप्रदेशी

B. परिवर्तन में निमित्त

C. अनंत समयवाला

D. काल का स्वरूप अणुरूप होने से स्कन्ध को प्राप्त होने वाला

Ans. B, C

(सूत्र 22, 40)

  1. ____ पुद्गल द्रव्य हैं।

A. नीला आकाश

B. दिव्यध्वनि

C. गरम मौसम

D. ठंडी छांव

Ans. A, B, C, D

(सूत्र 24)

  1. पुद्गल _____ प्रदेशी है।

A. एक

B. संख्यात

C. असंख्यात

D. अनंत

Ans. A, B, C, D

(सूत्र 33 से 37)

  1. यदि,

[द्रव्य] का अर्थ द्रव्यों की संख्या है, तथा

{द्रव्य} का अर्थ द्रव्यके प्रदेशों की संख्या है, तब

इनमें कौन-कौन से समीकरण सही होंगे?

A. [जीव] > {आकाश}

B. [जीव] < [पुद्गल]

C. {जीव} = {धर्मास्तिकाय} = {अधर्मास्तिकाय}

D. {लोकाकाश} = [काल]

Ans. B, C, D

(आकाश के प्रदेश और जीवों की संख्या यद्यपि दोनों अनंत हैं तथापि आकाश के प्रदेश जीवों की संख्या से कहीं ज्यादा हैं, विशिष्ट जानकारी के लिए नीचे देखें।

जीव - अनंत

पुद्गल - जीव से अनन्त गुना

आकाश के प्रदेश - पुद्गल से अनंत गुना

तीन काल के समय - आकाश के प्रदेशों से अनंत गुने

इन तीन काल के समयों से भी अनंत गुने मुझ आत्मा में गुण)

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Quiz 2
Mahaveer Jayanti

बालक महावीर के पांच नामों में से उनका प्रथम नाम कौन-सा था?

  • महावीर
  • वर्धमान (सही)
  • वीर
  • सन्मति

मुनिराज महावीर को कितने वर्ष की आयु में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी?

  • 30 वर्ष
  • 42 वर्ष (सही)
  • 72 वर्ष
  • 53 वर्ष

बालक महावीर की माता का नाम ?

  • त्रिशला (सही)
  • नंदा
  • वामा
  • सुनंदा

महावीर जयंती पर्व किस प्रकार का पर्व है?

  • त्रैकालिक पर्व
  • मासिक पर्व
  • धन संपत्ति का पर्व
  • प्रासंगिक पर्व (सही)

इनमें से कौन से वाक्य भगवान महावीर की शिक्षाओं में नहीं है?

  • सभी आत्मायें बराबर है।
  • जो जीव पुरुषार्थ करे वही भगवान बन सकता है।
  • भगवान जगत के किसी वस्तु के कुछ कर्ता नहीं हैं, मात्र जानते हैं ।
  • द्वेष बुरा है, राग अच्छा है । (सही)

भगवान महावीर के समवशरण का विस्तार कितना था?

  • 1 योजन (सही)
  • 12 योजन
  • 10 योजन
  • 4 किलोमीटर

महावीर भगवान की सभा में श्रावकोत्तम की उपाधि किसको मिली थी?

  • सौधर्म इंद्र
  • श्रेयांस राजा
  • श्रेणिक राजा (सही)
  • विजय सेठ

किस ग्रन्थ के मंगलाचरण में महावीर भगवान को नमस्कार किया गया है?

  • समयसार
  • प्रवचनसार (सही)
  • रत्नकरंड श्रावकाचार (सही)
  • मोक्षमार्ग प्रकाशक

भगवान महावीर के जीव के अंतिम भव में शरीर की अवगाहना कितनी थी?

  • 500 धनुष
  • 300 योजन
  • 9 हाथ
  • 7 हाथ (सही)

“यद्यपि युद्ध नहीं कियो, नाहीं रखे असि तीर” - ये पंक्तियाँ किनके द्वारा रचित है?

  • डॉ. हुकुमचंद भारिल्ल जी (सही)
  • पं. युगल जी ‘बाबूजी’
  • कविवर दौलतराम जी
  • कविवर द्यानतराय जी

इनमें से कौन-कौन से भव महावीर भगवान के जीव के पूर्व भव है?

  • मरीचि (सही)
  • त्रिपृष्ट नारायण (सही)
  • पुरुरवा भील (सही)
  • प्रियमित्र (सही)

भगवान महावीर का जन्म कब हुआ था?

  • चैत्र शुक्ल त्रयोदशी
  • आषाढ़ शुक्ल सप्तमी
  • कार्तिक कृष्ण अमावस्या
  • इनमें से कोई नहीं (सही)

Reference - जैनेंद्र सिद्धांत कोश भाग २ पेज ३८७-३९१, जैनेंद्र सिद्धांत कोश भाग ३ पेज -२९१

भगवान पार्श्वनाथ और भगवान महावीर के केवलोत्पत्ति अंतराल था-

  • 250 वर्ष
  • 279 वर्ष 8 मास (सही)
  • 300 वर्ष
  • 250 वर्ष 8 मास

चतुर्थ काल कितना शेष रहने पर भगवान महावीर उत्पन्न हुए थे-

  • 75 वर्ष
  • 75 वर्ष 8 माह
  • 75 वर्ष 8 ½ माह (सही)
  • 72 वर्ष

भगवान महावीर के मुख्य श्रोता कौन कौन थे?

  • श्रेणिक (सही)
  • इंद्रभूति
  • सौधर्म इंद्र
  • राजा सिद्धार्थ

बालक वर्धमान का जन्म कब हुआ था?

  • चैत्र कृष्ण त्रयोदशी
  • चैत्र शुक्ल त्रयोदशी (सही)
  • आषाढ़ शुक्ल सप्तमी
  • कार्तिक कृष्ण अमावस्या

राजकुमार महावीर के वैराग्य का कारण क्या बना था?

  • जातिस्मरण(सही)
  • दर्पण
  • ऋतु परिवर्तन
  • उल्कापात

महावीर पुराण की रचना करने वाले-

  • आचार्य शुभचंद्र (सही)
  • आचार्य सकलकीर्ति(सही)
  • आचार्य जयसेन स्वामी
  • आचार्य रविसेन

इनमे से कौन कौन से पर्व भगवान महावीर से सम्बंधित है?

  • महावीर जयंती(सही)
  • दीपावली(सही)
  • रक्षा बंधन पर्व
  • वीर शासन जयंती (सही)

महावीर भगवान के जीव पिछले भव में कौन से स्वर्ग में थे?

  • अच्युत स्वर्ग (सही)
  • आनत स्वर्ग
  • सर्वार्थसिद्धि
  • अपराजित

बालक वर्धमान का जन्म कहाँ हुआ था?

  • कुण्डलपुर (सही)
  • पावापुर
  • अयोध्या
  • वैशाली (सही)

राजा चेतक बालक वर्धमान के कौन थे?

  • नाना जी (सही)
  • दादा जी
  • मामा जी
  • मित्र

बालक वर्धमान का क्या वंश था?

  • यादव
  • इक्ष्वाकु
  • नाथ (सही)
  • उग्र

प्र. भगवान महावीर के जीव ने भरत क्षेत्र के चतुर्थ काल में त्रेसठ शलाका पुरुष में से कौनसा पद धारण किया?

A. तीर्थंकर

B. नारायण

C. प्रतिनारायण

D. चक्रवर्ती

Ans. A, B

प्र. शेर की पर्याय में तीर्थंकर महावीर के जीव को पहली बार सम्यग्दर्शन प्राप्त हुआ था।

A. सही

B. गलत

Ans. B

प्र. मारीचि के भव से लेकर महावीर के भव तक का काल लगभग कितना था?

A. पचास हज़ार वर्ष

B. पाँच पल्य

C. एक कोड़ाकोड़ी सागर

D. 84 लाख पूर्व

Ans. C

प्र. इनमें से कौनसी तिथि तीर्थंकर महावीर के जीव से संबंधित है?

A. चैत्र शुक्ल १३

B. श्रावण कृष्ण १

C. कार्तिक अमावस्या

D. वैशाख शुक्ल १०

Ans. A, B, C, D

प्र. रानी चेलना और सती चंदनबाला भगवान महावीर की मौसी थीं।

A. सही

B. गलत

Ans. B

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6th adhyaay

  1. आस्रव तत्त्व का वर्णन तत्वार्थसूत्र के कौनसे अध्याय में है ?

A. पांचवें

B. छठें

C. सातवें

D. आठवें

Ans: B,C

  1. आस्रव का कारण योग है | वह योग ___________ रूप है ।

A. आत्म प्रदेशों के कम्पन

B. मन वचन काय की प्रवृत्ति

C. तप

D. मात्र अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि

Ans: A,B

  1. आस्रव किसे नहीं होता ?

A. अरिहंत भगवान को

B. सिद्ध भगवान को

C. देव गति के देवों को

D. मेरे द्रव्य स्वाभाव को

Ans: B,D

  1. पुण्य-आस्रव के कारण क्या हैं ?

A. दूसरों का भला सोचना

B. अभक्ष्य भक्षण करना

C. हित-मित-प्रिय बोलना

D. कठोर वचन बोलना

Ans. A,C

  1. निम्न लिखित वाक्यों को पढ़कर कौन से विकल्प सही हैं

I शुभ योग से शुभ आस्रव होता है।

II घाति कर्मों की शुभ प्रकृतियाँ शुभ योग से बँधती है।

III सकषायी जीवों को जो आस्रव होता है, वह साम्परायिक आस्रव है।

IV पुण्य पाप का भेद केवल अघाति प्रकृतियों में है।

A. सिर्फ I, II सही है

B. सिर्फ I, II, III सही है

C. सिर्फ I, III, IV सही है

D.सिर्फ III, IV सही है

ANS : C (for option 2 and 4 pg 240,)

  1. जीवाधिकरण और अजीवाधिकरण के क्रमशः कितने भेद हैं ?

A. 12,11

B. 11,108

C. 2,5

D, 108,11

Ans: D

  1. अध्याय ६ के हिसाब से कर्मों की मूल प्रकृति का क्रम क्या है ?

A. ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, अंतराय, वेदनीय, आयु, नाम, गोत्र

B. ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, अंतराय, आयु, नाम, गोत्र , वेदनीय

C. ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय, वेदनीय, अंतराय, आयु, नाम, गोत्र

D. ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र, अंतराय

Ans : D

  1. विनोद पाठशाला से हॉस्टल आया और उसने देखा की ज्ञायक तो बैठ कर पढ़ाये गए पाठ को याद कर रहा था | उसे लगा की कहीं ज्ञायक उससे आगे न निकल जाए इसीलिए उसने आकर कहा "अरे भाई ज्ञायक! तुम पढ़ने बैठ गए! ना आचार्य देव को समझ है लिखने की, और ना अपने गुरुओं को खबर है पढ़ाने की, तुम छोडो ये सब… ".

बताओ विनोद को कौन-कौन से कर्मों का बंध हुआ?

A. ज्ञानावरण

B. दर्शनावरण

C. दर्शनमोहनीय

D. अंतराय

Ans: A,B,C,D

  1. सही जोड़ी बनाएं

‘क’

a) प्रदोष

b) निह्नव

c) मात्सर्य

d) दिन में सोना, अधिक सोना

e) आसादन

f) परिवेदन

g) असद्-गुण -उद्भावन

h) बाल तप

‘ख’

i) दर्शनावरण

ii) फूट-फूट कर रोना

iii) उपदेशक से ईर्ष्या

iv) निरादर भाव रखना

v) बुराई-निंदा करना

vi)ये सोचकर किसी को न बताना कि इसे बताऊंगा तो ये मुझसे ज्यादा जान जाएगा।

vii) मिथ्यादृष्टि के व्रत

viii) गुरु का नाम छिपाना

Ans: a-iii, b-viii, c-vi, d-i, e-iv f-ii, g-v, h-vii

प्रश्न का उत्तर देने के बाद ये भी विचार कीजिये किस क्रिया/परिणाम से किस कर्म का आस्रव होता है|

  1. वेदनीय के आस्रव का कारण

A. आक्रंदन

B. क्षमा

C. देव-गुरु-धर्म का अवर्णवाद

D. इन्द्रिय संयम - प्राणी संयम

Ans: A,B,D

  1. _______ से दर्शनमोहनीय रूपी तीव्र पाप का बंध होता है |

A. भगवान को कवलाहारी मानने से

B. हिंसा एवं राग भाव में धर्म मानने से

C. पुराण पुरुष एवं जो सिद्ध हुए है ऐसे रामचन्द्र जी, हनुमान जी, कुम्भकरण जी आदि का लोक प्रचलित स्वरूप मानने से

D. व्यवहार में देव-गुरु-धर्म से किसी और को बड़ा मानने से

तभी तो कहा है ‘बंध समय चेतो रे भाई, उदय समय क्या चिंत’

ANS : A , B, C, D

  1. हिंसादि में अति प्रवृत्ति, और पर पदार्थों में अति आसक्ति इस भाव से _________ का आस्रव होता है, और इनकी अल्पता से ______ का आस्रव होता है |

A. मनुष्यायु, देवायु

B. नरकायु, तिर्यंचायु

C. नरकायु, मनुष्यायु

D. मनुष्यायु , देवायु

Ans: C

  1. विधि ने घर आते ही अपना बैग पटका और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, माँ ने जब पूछा कि बेटी तुमको क्या हुआ ? तब विधि ने अपनी सहेली रमा की रामायण वाचनी चालू करी| उसे पता था कि आज तो गलती उसकी थी पर कोई अपनी गलती बोलता है! बस क्या था उसने रमा की बुराई करना चालू किया … बताओ विधि को कौनसे कर्म का बंध हुआ?

(प्रश्न का उत्तर स्थूलता से दें)

A. नीच गोत्र

B. असाता वेदनीय

C. अंतराय

D. तिर्यंचायु

Ans: A,B,D

  1. इनमें से कौन से वाक्य सही है ?

I. तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का उदय आने से जीव तीर्थंकर बनता है |

II. तीर्थंकर नाम कर्म की प्रकृति का बंध सोलह कारण भावनायें भाने से होता है |

III. हमें तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति बांधना हो तो हमें सोलह कारण भावनाओं की पूजन करनी चाहिए |

IV. तीर्थंकर प्रकृति केवली या श्रुत केवली के पादमूल में ही बंधती है|

V. हमें ऐसी भावना भानी चाहिए कि हम भी तीर्थंकर बनकर सब जीवों का कल्याण करें |

A. सिर्फ I,III,IV,V

B. सिर्फ I,III,V

C. सिर्फ I,II,IV,V

D. सिर्फ I,II,IV

Ans: D

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सप्तम अध्याय

  1. व्रत के कितने प्रकार होते है?
    8❌
    2✅
    3❌
    5✅

  2. प्रत्येक व्रत की कितनी भावनायें है?
    3✖️
    7✖️
    5✔️
    6✖️

  3. निम्न भावनाओं में से कौन-सी भावना अहिंसा व्रत की भावनाएं नहीं है?
    वचन गुप्ति✖️
    हास्य त्याग✔️
    ईर्या समिति✖️
    शून्यागार✔️

  1. अनुवीचि-भाषण भावना का क्या शब्दार्थ है?
    स्व-पर हितकारी, विचार पूर्वक निर्दोष वचन बोलना।:heavy_check_mark:
    क्रोध लोभ रहित वचन बोलना।:heavy_multiplication_x:
    सत्य व्रत का पालन करना।:heavy_multiplication_x:
    वचनों का त्याग करना।:heavy_multiplication_x:

  2. साधर्मी-अविसंवाद किस व्रत की भावना है?
    अहिंसा व्रत✖️
    ब्रह्मचर्य व्रत✖️
    सत्य व्रत✖️
    अचौर्य व्रत✔️

  3. अपरिग्रह व्रत की भावना कौन- कौन सी है?
    भैक्ष्यशुद्धि✖️
    मनोज्ञ इंद्रिय विषयों में राग का ग्रहण✖️
    अमनोज्ञ इंद्रिय विषयों में द्वेष का त्याग✔️
    वात्सल्य✖️

  4. “दुःखमेव वा” इस सूत्र का क्या अर्थ है?
    संसार में दुःख ही है✖️
    हिंसादि पाप दुःख ही है✔️
    मोक्ष में दुःख नही है✖️
    दुःख स्वभाव में नही है✖️

  5. व्रतों की स्थिरता के लिए और कौन सी भावनांये हैं?
    अशरण भावना✖️
    मैत्री भावना✔️
    संवेग भावना✔️
    प्रमोद भावना :heavy_check_mark:

  6. हिंसा में मुख्य कारण क्या होता है?
    किसी जीव के प्राणों का घात हो जाना✖️
    प्रमाद पूर्वक कार्य करना✔️
    खेल खेलना✖️
    गाली देना✖️

  7. अनृत का पर्यायवाची शब्द बताये?
    असत्य✔️
    चोरी✖️
    परिग्रह परिमाण✖️
    करुणा✖️

  8. मूर्च्छा ही __________ है।
    स्तेय✖️
    परिग्रह✔️
    अनृत✖️
    अब्रह्म✖️

  9. व्रती के भेद कौन से है?
    नि:शल्य सहित और शल्य सहित✖️
    संसारी और मुक्त✖️
    अगारी और अनगारी✔️
    अहिंसक और अपरिग्रही✖️

  10. अगारी व्रती कौन कहा जा सकता है?
    अणुव्रत धारी✔️
    पांच पापों का एकदेश त्यागी✔️
    गृहस्थ श्रावक✔️
    मुनिराज✖️

  11. निम्न में से कौन से व्रत शील व्रतों में आते है?
    प्रोषधोपवास व्रत✔️
    सामायिक✔️
    अनर्थ-दंड✖️
    देशव्रत✔️

  12. इनमें से कौन-सा अतिचार असंबंधित है -
    जीवित-आशंसा✖️
    सुखानुबंध✖️
    शब्दानुपात✔️
    मित्रानुराग✖️

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प्रश्न = 1व्रत के तीन भेद भी होते हैं अणुव्रत गुणव्रत और शिक्षा व्रत

Tattvarthsutr me…

  1. Agaari
  2. Angaari
    Do bhed btaye hai , jisme saare bhed samahit ho jate hain.

पॉच की संख्या को ठीक किया गया है पॉच भी तो इसमें ही समाहित थे

सप्तम अध्याय के आधार पर प्रश्न है, यहां गुण व्रत और शिक्षा व्रतों को शील व्रत में गर्भित किया है ।

अहिंसा आदि पांच भेदों की चर्चा भी इस अध्याय में अनेक जगह आती है।

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Tatvartha Sutra Adhyaya 8

अध्याय आठवाँ

१.आठवें अध्याय में किसका वर्णन है?
A. संवर तत्त्व
B. बंध तत्त्व
C. संवर मिश्रित बंध तत्त्व
D. बंध मिश्रित संवर तत्त्व
B

  1. “कषाय सहित आत्मा कर्मों को ग्रहण करता है।” -यहाँ कषाय से क्या तात्पर्य है?
    A मात्र कषाय
    B मिथ्या दर्शनादिक चार
    C मिथ्या दर्शनादिक पांच
    D अनंतानुबंधी आदि चार
    B

3 स्थिति अर्थात्?
A कर्मों की जीव में मर्यादा
B कर्मों के काल की मर्यादा
C आत्मा की काल से मर्यादा
D आत्मा की कर्मों से मर्यादा
B

4 नाम कर्म के भेद है?
A 41
B 42
C 43
D 92
B

5 जिस कर्म के उदय से आँख खोलने में भी अशक्य हो-
A निद्रा
B प्रचला
C निद्रा निद्रा
D प्रचला प्रचला
C

6 अकषायवेदनीय के भेद है?
A 2
B 28
C 3
D 9
D

7 जिस कर्मोदय से स्थूल शरीर प्राप्त हो?
A पर्याप्त
B अपर्याप्त
C सूक्ष्म
D बादर
D

8 दानांतराय किसे कहते हैं?
A दान देने की इच्छा ही ना हो
B इच्छा होने पर भी दान न दे पाए
C बिना इच्छा के दान दे
D ना इच्छा हो ना दान दे
B

9 आठ मुहूर्त जितनी जघन्य स्थिति किन कर्मों की है -
A आयु, वेदनीय
B वेदनीय, नाम
C नाम, गोत्र
D अंतराय, गोत्र
C

10 इनमें पुण्य प्रकृति है -
A तिर्यंच आयु
B कार्माण शरीर
C तिर्यंच गति
D वज्र नाराच संहनन
A, B

11 इनमें पाप प्रकृति है
A कार्माण बंधन
B साधारण
C सम्यक्त्व प्रकृति
D मनुष्य आयु
B, C

12 चौथे गुणस्थानवर्ती के कितने-कितने बंध के हेतु विद्यमान है?
A 5
B 4
C 3
D 2
B

13 नाम कर्म की कितनी प्रकृतियाँ पुण्य रूप है?
A 37
B 68
C 93
D 63
A, D (भेद-अभेद विवक्षा से)

14 बंध किसे कहते है?
A कषाय सहित जीव कर्मों से एकमेक होता है वह बंध है
B कषाय रहित जीव कर्मों को ग्रहण करता है वह बंध है
C कषाय सहित जीव कर्मों को ग्रहण करता है वह बंध है
D कषाय सहित जीव कर्मों से अपनत्व करता है वह बंध है
C

15 कर्म आत्मा के-
A संपूर्ण प्रदेशों से बंधता है
B एकक्षेत्र से बंधता है और इसीलिए उसे एकक्षेत्रावगाह रूप बंध कहते है
C कुछ प्रदेशों से बंधता है
D कर्मोदय अनुसार योग्य प्रदेशों से बंधता है।
A

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Tatvartha Sutra Adhyaya 9

नवम अध्याय

  1. सम्यक् योग के निग्रह को कहते हैं-
    A निग्रह स्थान
    B धर्म
    C गुप्ति
    D समिति
    Ans: C

  2. एकत्व भावना है-
    A मात्र तत्त्वपरक
    B मात्र वैराग्य उत्पादक
    C मुख्यरूप से वैराग्य उत्पादक
    D गौण रूप से तत्त्वपरक

C, D

3 संवर के कारणों के समस्त भेदों को जोड़ने पर उनका जोड़ होगा-

A 59

B 57

C 63

D 69

D

4 परीषहों को सहन करना चाहिए क्योंकि-

A संवर से च्युत न हो

B परिषह दुखकारी हैं

C परलोक अभ्युदय के लिए

D लौकिक प्रसिद्धि के लिए

A

5 अलाभ परीषहजय है-

A आहारादिक का लाभ होने पर भी संतुष्ट न रहना

B आहारादिक का अलाभ होने पर संतुष्ट न रहना

C आहारादिक का लाभ होने पर संतुष्ट रहना

D आहारादिक का लाभ न होने पर भी संतुष्ट रहना

D

6 13 वे गुणस्थान में कौन - कौन से परीषह संभव है-

A अज्ञान

B रोग

C क्षुधा

D प्रज्ञा

B C

7 वेदनीय कर्म के सद्भाव से कौन से परीषह संभव है?

A आक्रोश

B रोग

C याचना

D वध

B D

8 4 ध्यानों की संख्या में किसे जोड़ें की प्रायश्चित तप के कुल भेदों की संख्या आ जाएंं?

A 4 + (स्वाध्याय + गुप्ति)

B 4 + (विनय × व्युत्सर्ग)

C 4 + (प्रायश्चित - विनय)

D 4 + (भावना / विनय)

C

9 बकुश मुनि के कौनसे चारित्र संभव हैं?

A सामायिक

B परिहार विशुद्धि

C सूक्ष्म साम्पराय

D छेदोपस्थापना

A D

10 निदान बंध करके छठवें गुणस्थानवर्ती मुनि तिर्यंचगति में ही जाते हैं। क्या उपरोक्त नियम सही है?

A हाँ, सही है

B सही नही है

C पंचम काल में नियम से जाते हैं

D मात्र पुलाक मुनि जाते हैं

B

11 दीक्षक आचार्य के शिष्य समुदाय को… कहते हैं।

A संघ

B कुल

C शैक्ष

D गण

B

  1. प्रथम पांच अंतरंग तपों के उत्तर भेदों का कुल जोड़ है-

A 34

B 30

C 44

D 45

B

13 वर्तमान काल में कौन - कौन से ध्यान संभव हैं?

A संस्थान विचय

B निदान

C इष्ट-वियोगज

D एकत्व वितर्क

A B C

14 क्या प्रज्ञा परीषह एवं अज्ञान परीषह एक साथ संभव हैं?

A हाँ, संभव है

B संभव नहीं है

C श्रावकों के ही संभव है

D मिथ्यादृष्टियों को ही संभव है

A

  1. इनमें से क्या सही है?
    1 श्रावक को विरत से असंख्यात गुणी निर्जरा होती है
    2 सम्यग्दर्शन से पूर्व निर्जरा होती ही नहीं है
    3 ग्यारहवें गुणस्थानवर्ती जीव को क्षपक श्रेणी के आठवें-नौवें-दसवें गुणस्थानवर्ती जीव से असंख्यात गुणी निर्जरा होती है
    4 अनंतानुबंधी के विसंसंयोजक से क्षीणमोही को असंख्यात गुणी निर्जरा होती है

सभी गलत है।

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अध्याय १०

  1. दसवे अध्याय में वर्णन है-
    केवलज्ञान के स्वरूप का (गलत)
    केवलज्ञान की प्राप्ति के उपाय का(सही)
    सम्यक्चारित्र का (गलत)
    मोक्ष तत्त्वार्थ का (सही)

  2. केवल ज्ञान प्राप्ति का उपाय
    चार घातिया कर्मों का नाश(सही)
    मोहनीय पूर्वक शेष तीन घातिया कर्मों का नाश(सही)
    चारों घातिया कर्मों का यूगपत् नाश(गलत)
    अष्ट कर्मों का क्षय(गलत)

  3. सूत्र 2-4 के आधार से -
    मोक्ष होने पर अभव्यत्व भाव का अभाव होता है
    मोक्ष होने पर क्षायिक भाव का अभाव होता है।
    बंध और बंध के कारणों का अभाव होने पर मोक्ष होता है।
    केवलज्ञान होते ही औदयिक भाव का अभाव हो जाता है।
    जीवत्व भाव मुक्त अवस्था में भी रहता है।
    सिद्ध भगवान अनंत काल तक एक ही आकार में रहते हैं।
    अनादि काल से अबतक आकार परिवर्तन का कारण आयु कर्म था।
    iii, v, vi सही हैं (सही)
    iii, v, vi, vii सही हैं(गलत)
    ii, iii, vi सही हैं(गलत)
    i, iii, v सही हैं(गलत)
    ii, iii, iv, v, vi सही हैं(गलत)
    i, iii, v, vi सही हैं(गलत)

  4. सिद्ध जीवों की गति का नियम (3 points)
    धर्मास्तिकाय का अभाव होने से मुक्त जीव ऊर्ध्वगमन करते रहते हैं।(गलत)
    मुक्त जीवों के ऊर्ध्वगमन के मात्र चार हेतु है।(सही)
    सिद्ध जीव धर्मास्तिकाय रूप निमित्त और अपनी उपादानगत योग्यता के अभाव से अलोकाकाश में नहीं जाते।(सही)

  5. सही जोड़े बनाए
    i.बंधन का टूटना
    ii.ऊर्ध्व गमन स्वभाव
    iii.संग का अभाव
    iv.पूर्व प्रयोग
    1 लेप से मुक्त हुई तूमडी
    2 घुमाया हुआ कुम्हार का चक्र
    3 अग्नि की शिखा
    4 एरण्ड का बीज
    (Answer- i-4, ii-3, iii-1, iv-2)

  6. सही विकल्प चुनें- (6 points)
    वर्तमान पर्याय को ग्रहण करने वाला प्रत्युत्पन्न नय है।(सही)
    अयथार्थ वस्तु स्वरूप को ग्रहण करने वाला प्रत्युत्पन्न नय है।(गलत)
    ऋजुसूत्र नय और निश्चय नय भूत प्रज्ञापन नय के उदाहरण हैं।(गलत)
    व्यवहार नय प्रत्युत्पन्न नय का उदाहरण है।(गलत)
    जो नय अनागत पर्याय को ग्रहण करता है वह भूत प्रज्ञापन नय है।(गलत)
    जो नय भूतकालीन पर्याय को ग्रहण करता है वह भूत प्रज्ञापन नय है।(सही)

  7. सूत्र क्र. 9 के आधार पर सही और ग़लत चुनें- (15 points)
    प्रत्युत्पन्न नय से पार्श्वनाथ भगवान शिखर जी के आकाश प्रदेशों से मुक्त हुए।(सही)
    प्रत्युत्पन्न नय से हुंडावसर्पिणी में तीसरे काल के अंत में जन्मे जीव मोक्ष जाते हैं।(गलत)
    भूत प्रज्ञापन नय से मनुष्य गति से ही मुक्ति होती है।(सही)
    जो परोपदेश से ज्ञान प्राप्त करते हैं, उन्हें बोधित बुद्ध कहते हैं और उन बोधित बुद्ध को मोक्ष नहीं होता है।(गलत)
    भूत प्रज्ञापन नय से तीनों ही भाव वेद से मुक्ति होती है।(सही)
    प्रत्युत्पन्न नय से पुरुष वेद से ही मुक्ति होती है।(गलत)
    प्रत्युत्पन्न नय से सिद्ध भगवंतों की अंतिम शरीर से कुछ कम अवगाहना होती है।(सही)
    लगातार मोक्ष जायें तो कम से कम दो समय तक और अधिक से अधिक छः महीने आठ समय तक मुक्त होते रहते हैं। (गलत)
    ढाई द्वीप में सबसे ज़्यादा जम्बू द्वीप से जीव मुक्त होते हैं।(गलत)
    भूत ग्राही नय की अपेक्षा तीन ज्ञान(मति, श्रुत और अवधि ज्ञान) से मुक्त हुए जीव सबसे अधिक हैं।(सही)
    ‘525 धनुष की अवगाहना से मुक्त हुए जीवों की संख्या’ ‘कुछ कम साडे तीन हाथ की अवगाहना से मुक्त हुए जीवों की संख्या’ से कम है।(गलत)
    प्रत्युत्पन्न नय से गति की अपेक्षा अल्पबहुत्व है ही नहीं। (सही)
    तीर्थंकर केवली से सामान्य केवली होकर मुक्त होने वाले जीव असंख्यात गुणे है।(गलत)
    कोई भी जीव मुक्त न हो तो कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक छह माह का अंतर पड़ता है।(सही)
    जो अपनी शक्ति से ही ज्ञान प्राप्त करते हैं, उन्हें प्रत्येक बुद्ध कहते हैं।(सही)

  8. एक समय में होने वाले सिद्धों की संख्या के संदर्भ में इनमें से क्या सही / गलत है -
    (108 जीव) < (107 से लेकर 50 तक की संख्या में मुक्त हुए जीव ) < (49-25 जीव) < (24-1 जीव) (सही)
    108 जीव से असंख्यात गुणे 107-50 जीव (गलत)
    49-25 जीव से संख्यात गुणे 24-1 जीव (सही)
    एक समय में कम से कम एक जीव और अधिक से अधिक १०८ जीव मुक्त होते है।(सही)

  9. चारित्र अपेक्षा विचार के संदर्भ में इनमें से क्या सही / गलत है -
    प्रत्युत्पन्न नय से जिस भाव से मुक्ति होती है उसे चारित्र कहते हैं। (गलत)
    भूत प्रज्ञापन नय की अपेक्षा व्यवहित रूप से यथाख्यात चारित्र से मोक्ष प्राप्त होता है। (गलत)
    पाँच चारित्र धारण करके मुक्त हुए जीव < चार चारित्र धारण करके मुक्त हुए जीव (सही)
    भूत ग्राही नय की अपेक्षा अव्यवहित चारित्र को देखने पर अल्प बहुत्व नहीं है। (सही)

  10. ग्रंथ के मंगलाचरण में आचार्य ने जिन गुणों को याद करते हुए नमस्कार किया है, उसके संदर्भ में इनमें से क्या सही / गलत है -
    मोक्षमार्ग के नेता इससे वीतरागत्व
    कर्म पर्वतों के भेत्ता इससे सर्वज्ञत्व
    विश्व तत्त्व के ज्ञाता इससे हितोपदेशत्व
    व्यक्ति को नमस्कार किया है, गुणों को नहीं
    All are wrong.

  11. ग्रंथ के समापन में अंतिम श्लोक के माध्यम से आचार्य कौन सी भूल की संभावना व्यक्त कर रहे है - (6points)
    अक्षर
    अर्थ
    मात्रा
    पद
    पदार्थ
    भाव
    A, C, D (सही है)

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