Read to Achieve | A Quarantine Quiz

प्रश्न 4. में अंतिम विकल्प सही नहीं होना चाहिए। क्योंकि सिद्ध जीव उपदानगत योग्यता और धर्मास्तिकाय रूप निमित्त के अभाव से अलोकाकाश में नहीं जाते। जबकि यहाँ इस विकल्प में "धर्मास्तिकाय रूप निमित्त और उपदानगत योग्यता का अभाव से अलोकाकाश में नहीं जाते " ऐसा लिखा हैं, इससे तो विपरीत अर्थ निकल जाता है कि सिद्ध जीव के अलोकाकाश में गमन के अभाव के ये दो कारण हैं-1. धर्मास्तिकाय का निमित्त 2.उपादानगत योग्यता के अभाव।
कृपया :point_up_2: इस बिंदु पर विचार करें।

1 Like

निमित्त उपादान कारण की संधि को दर्शाता हुआ ये वाक्य तो बिल्कुल सही है।
धर्मास्तिकाय को निमित्त और योग्यता को उपादान के रूप में लिया है, मात्र क्रम ही आगे पीछे किया गया है।

क्रम तो वक्ता के अभिप्राय के अनुसार होगा, कभी पहले उपादान का और बाद में निमित्त का कथन किया जाता है, और कभी पहले निमित्त का और बाद में उपादान का।

2 Likes

मात्र क्रम बदलने में कोई आपत्ति नहीं है वह वक्ता अपने अनुसार बदल सकता है पर अर्थ को बचाते हुए। उपादानगत योग्यता का अभाव ऐसा लिखने से अर्थ का अनर्थ हो रहा हैं। क्योंकि यहाँ योग्यता का सद्भाव कारण है अभाव नहीं।

2 Likes

गमन संबंधी समान्य नियम -
धर्मास्तिकाय रूप निमित्त का सद्भाव और गमन संबंधी उपादानगत योग्यता का सद्भाव और उसी समय ठहरने रूप उपादानगत योग्यता का अभाव।

अलोकाकाश में गमन नहीं होने का कारण -
1)धर्मास्तिकाय रूप निमित्त का अभाव
और
2)गमन रूप स्वयं की उपादानगत योग्यता का अभाव (ठहरने रूप उपादानगत योग्यता का सद्भाव)

निमित्त और उपादान कारणों की बात कार्य के संबंध में की जा रही है। यहां अनुपलब्ध रूप कार्य के अनुपलब्ध हेतुओं (निमित्त और उपादान दोनों की अनुपलब्धि) को उक्त वाक्य से ग्रहण करे तो सम्यक अर्थ ही ग्रहण होगा।

5 Likes

स्याद्वाद हर समस्या का सामाधान हैं।

1 Like

द्रव्यसंग्रह

गाथा 1- गाथा 20

  1. भावस्तवन के प्रतिपादक वचनरूप द्रव्यस्तवन किस नय से किया जाता है?
    1.असद्भूत व्यवहार नय (सही)
    2.सद्भूत व्यवहार नय
    3.अशुद्ध निश्चय नय
    4.एकदेश शुद्ध निश्चय नय।

  2. जिनवर का अर्थ है - (गाथा 1 में जिनवर का अर्थ)
    1.तीर्थंकर - परमदेव
    2.गणधर देव (सही)
    3.अविरत सम्यग्दृष्टि
    4.अरिहंत

  3. इनमें से क्या गलत है - (pg 12)
    1.अतीन्द्रिय शुद्ध चैतन्यप्राण से प्रतिपक्षभूत क्षायोपशमिक इंद्रियप्राण है।
    2.अनंतवीर्य लक्षण बलप्राण से अनंतवें भाग प्रमाण मनोबल, वचनबल और कायबलप्राण है।
    3.अनादिअनंत शुद्ध चैतन्यप्राण के समान आयुप्राण है। (सही)
    4.श्वास और उच्छ्वास के परावर्त से उत्पन्न खेदरहित विशुद्ध चैतन्य प्राण से विपरीत श्वासोच्छ्वास रूप प्राण है।

  4. अमूर्तिक लक्षण द्वारा किस मत का खंडन हुआ?(pg 25)
    1.भट्ट (सही)
    2.नैयायिक
    3.सांख्य
    4.चार्वाक (सही)

  5. आत्मा चेतनकर्मों का कर्ता किस नय से हैं? (pg 25)
    1.एवंभूतनय
    2.व्यवहार नय
    3.निश्चयनय (सही)
    4.शुद्धनय

  6. जीव के प्रदेश- (pg 32)
    1.असंख्यात प्रदेश (सही)
    2.लोकप्रमाण असंख्यात प्रदेश (सही)
    3.असंख्यात लोकप्रमाण
    4.अनंतप्रदेश

  7. जीव की त्रस और स्थावर में उत्पत्ति का कारण क्या हैं? (Pg 35)
    1.अपनी आत्मा की भावना नहीं भाने से (सही)
    2.इंद्रियसुख में आसक्त होने से (सही)
    3.शुद्धोपयोग
    4.एकेंद्रियादि जीवों का वध करने से (सही)

  8. जीव के प्राण हैं- (गाथा 3)
    1.चैतन्यप्राण (सही)
    2.10 प्राण (सही)
    3.अन्न, धन
    4.4 प्राण (सही)

  9. एकेन्द्रिय जीवों के कितने भेद होते हैं? (Pg 36)
    1.2 (सही)
    2.5 (सही)
    3.8
    4.1

  10. असंज्ञी पंचेन्द्रिय होते हैं- (Pg 36)
    1.मनुष्य
    2.तिर्यंच(सही)
    3.देव
    4.नारकी

  11. असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के कितने पर्याप्ति होती हैं? (Pg 37)
    1.6
    2.4
    3.5 (सही)
    4.3

  12. अपर्याप्त जीवों के कम से कम कितने प्राण होते हैं? (Pg 37)
    1.4
    2.3(सही)
    3.2
    4.1

  13. भूमि की रेखाके समान क्रोधादि कषाय किसके हैं? (Pg 41)
    1.अनंतानुबंधी
    2.अप्रत्याख्यानवरण(सही)
    3.प्रत्याख्यानवरण
    4.संज्वलन

  14. इनमें से कौन मार्गणास्थान हैं? (Pg 44)
    1.भव्यत्व(सही)
    2.दर्शन(सही)
    3.संज्ञा(सही)
    4.आहार(सही)

  15. सिद्ध भगवान्- (Pg 49)
    1.कर्मोंसे रहित हैं(सही)
    2.नित्य हैं(सही)
    3 उत्पाद-व्यय मुक्त है
    4.आठ गुणों के धारक हैं(सही)

2 Likes

गाथा 21- गाथा 40

  1. निश्चय काल का लक्षण नहीं हैं -. (Pg 72)
    1.अमूर्त्त
    2.अनित्य (सही)
    3.अनादिनिधन
    4.भेदरहित

  2. परस्पर तादात्म्य रहित रत्नों की राशि की भाँति कौन-सा द्रव्य आकाशद्रव्य में व्याप्त हैं? (Pg 73)
    1.जीव
    2.पुद्गल परमाणु
    3.काल (सही)
    4.धर्म

  3. सब द्रव्य अपने परिणमन के लिए उपादान कारण है और अन्य द्रव्यों के लिए सहकारी कारण है, अतः काल द्रव्य की आवश्यकता नहीं? (Pg 75)
    1.सही
    2.गलत (सही)

  4. एक पुद्गल परमाणु शीघ्र गति से कम से कम कितने समय में 14 राजू गमन कर सकता हैं? (Pg 76)
    1.1 समय (सही)
    2.2 समय
    3.3 समय
    4.4 समय

  5. जीव के प्रदेश किस द्रव्य के प्रदेश के समान हैं? (Pg 81)
    1.धर्म (सही)
    2.अधर्म (सही)
    3.पुद्गल
    4.काल

  6. मंदगति से गमन करते हुए पुद्गलपरमाणु को एक आकाश प्रदेश तक ही कालद्रव्य गति का सहकारी कारण होता हैं । (pg 82)
    1.सही (सही)
    2.गलत

  7. धर्मद्रव्य विद्यमान होने पर भी, जीवों को गति में कर्म-नोकर्मरूप पुद्गल और पुद्गल के गमन में कालद्रव्य सहकारी कारण होता हैं। (pg 82)
    1.सही (सही)
    2.गलत

  8. अणु - (pg 84)
    1.सूक्ष्मता का वाचक (सही)
    2.निर्विभाग पुद्गल की अपेक्षा पुद्गलाणु (सही)
    3.अविभागी काल द्रव्य की अपेक्षा कालाणु (सही)
    4.जिसका दूसरा विभाग न हो सके (सही)

  9. प्रदेश का लक्षण - (pg 85)
    1.एक द्रव्य में मात्र एक द्रव्य को अवगाहन
    2.आकाश द्रव्य की सबसे छोटी इकाई (सही)
    3.द्रव्यों को अवगाहन में कारण (सही)
    4.जितना आकाश अणु से रुका हो (सही)

  10. आकाश द्रव्य को ‘सर्वगत’ क्यों कहा जाता है? (pg 90)
    1.लोक में व्याप्त होने से
    2.अलोक में व्याप्त होने से
    3.लोकालोक में व्याप्त होने से (सही)
    4.सर्वत्र (सही)

  11. इनमे से कौनसा द्रव्य कोई न कोई अपेक्षा से ‘सर्वगत’ है - (pg 90)
    1.काल (सही)
    2.धर्म (सही)
    3.अधर्म (सही)
    4.आकाश (सही)

  12. भाव आस्रव का भेद- ( pg 100)
    1.प्रमाद (सही)
    2.गुप्ति
    3.योग (सही)
    4.मिथ्यात्व (सही)

  13. द्रव्य आस्रव हैं - (pg 103)
    1.ज्ञानवर्णादि पुद्गल का आना(सही)
    2.आहार वर्गणा का आस्रव होना
    3.जो भाव आस्रव के निमित्त से हो (सही)
    4.मोह राग द्वेष भाव कर्म

  14. द्रव्य बंध क्या होता हैं? (Pg 105)
    1.कर्म और आत्मा के प्रदेश का परस्पर प्रवेश होना(सही)
    2.दूध और पानी की भाँति आत्मा और कर्मों का सम्बन्ध(सही)
    3.कर्मों का आना
    4.आत्मा और कर्म में संश्लेष सम्बन्ध(सही)

  15. मोह परिणाम द्वारा कौनसा बंध होता हैं? (Pg 106)
    1.प्रकृति
    2.प्रदेश
    3.स्थिति (सही)
    4.अनुभाग (सही)

  16. मन वचन काय के हलन चलन से कर्मो की स्थिति बंधती हैं। (pg 106)
    1.सही
    2.गलत (सही)

  17. घाति कर्म के अनुभाग शक्ति से सम्बंधित -(pg 107)
    1.लता(सही)
    2.अस्थि(सही)
    3.हलाहल
    4.विष

2 Likes

प्रश्न नं० 2 में आकाशद्रव्य पर पूछा गया था हमने लोका काश की दृष्टि से सभी पे गलत लगाया क्योकि काल द्रव्य मात्र लोका काश में होता है सम्पूर्ण आकाश द्रव्य में नहीं

मूल गाथा में भी लोकाकाश है

3 Likes

परस्पर तादात्म्य रहित रत्नों की राशि की भाँति कौन-सा द्रव्य आकाशद्रव्य में व्याप्त हैं? (Pg 73)
1.जीव
2.पुद्गल परमाणु
3.काल (सही)
4.धर्म

यहाँ प्रश्न कर्ता के अभिप्राय में ‘आकाश’ शब्द से लोकाकाश था, इसलिए वह तीसरा विकल्प सही mark किया गया था, इसको सुधार दिया गया है। तथा जिन्होंने ‘काल’ को गलत mark किया होगा, उन्हें एक अंक अधिक मिल जाएगा। इस त्रुटि के लिए हम क्षमा चाहते हैं।

सुधार के बाद सही प्रश्न -
परस्पर तादात्म्य रहित रत्नों की राशि की भाँति कौन-सा द्रव्य लोकाकाशद्रव्य में व्याप्त हैं? (Pg 73)
1.जीव
2.पुद्गल परमाणु
3.काल (सही)
4.धर्म

3 Likes

हमने तो अपना अभिप्राय बताया था आपने भी प्रश्न अपने अभिप्रायानुसार सही बनाया है हमें कोई दिक्कत नहीं आप नम्बर अपने अभिप्राय अनुसार भी दे सकते है आप सभी के निमित्त से लॉक डाउन के समय का सदपयोग हुआ फालतु की विकथा में उपयोग नहीं लगा अधिक से अधिक स्वाध्याय हुआ आप सभी ने इतनी महनत की आप सभी जिनस्वरा के सदस्यों का बहुत बहुत धन्यवाद :pray::pray::pray:

3 Likes

गाथा 41 - गाथा 58

  1. राजा वज्रकर्ण की कथा किस अंग के लिए प्रसिद्ध हैं? (Pg 201)
    1.उपगूहन
    2.स्थितिकरण
    3.वात्सल्य (सही)
    4.प्रभावना

  2. सम्यग्ज्ञान कैसा है? Pg 206
    1.साकार(सही)
    2.भेदवाला(सही)
    3.संशयादि रहित(सही)
    4.निर्विकल्प

  3. सम्यग्ज्ञान के कितने प्रकार हैं? Pg 207
    1.5(सही)
    2.2(सही)
    3.8
    4.12

  4. दर्शन का लक्षण क्या है? Pg 212
    1.सामान्य, साकार, अभेद
    2.विशेष, निराकार, भेद
    3.अभेद, सामान्य, निराकार(सही)
    4.भेद, सामान्य, साकार

  5. मनःपर्यय ज्ञान किसपूर्वक होता हैं? Pg 214
    1.अवग्रह
    2.ईहा(सही)
    3.अवाय
    4.धारणा

  6. छद्ममस्थ जीवों को दर्शनपूर्वक ज्ञान क्यों होता है? Pg 213
    1.शरीर सहित होने से
    2.क्षायोपशमिक ज्ञान होने से(सही)
    3.केवलज्ञान न होने से(सही)
    4.सावरण ज्ञान होने से(सही)

  7. इनमें से कौन श्रावक का भेद हैं?pg 220
    1.दार्शनिक श्रावक(सही)
    2.व्रती श्रावक(सही)
    3.श्रमण
    4.व्रत रहित दार्शनिक

  8. इनमें से अशुभोपयोग क्या हैं? Pg 222
    1.उग्रता(सही)
    2.उन्मार्ग में अतत्पर
    3.दुष्टचित्त(सही)
    4.दुःश्रुति(सही)

  9. पांच इंद्रियों के विषय आदि का त्याग किस नय की अपेक्षा चारित्र हैं? Pg 222
    1.अशुद्ध निश्चय नय
    2.उपचरित असद्भूत व्यवहार नय(सही)
    3.अनुपचरित असद्भूत व्यवहार नय
    4.एकदेश शुद्ध निश्चय नय

  10. ध्यान करने से क्या प्राप्त होता है? Pg 225
    1.सम्यग्ज्ञान (सही)
    2.सम्यग्दर्शन(सही)
    3.व्यवहार मोक्षमार्ग(सही)
    4.सम्यक्चारित्र(सही)

  11. आर्त्तध्यान के संदर्भ में निम्न में से क्या सही / गलत है - pg 227
    1.आर्त्तध्यान 3 प्रकार का हैं।
    2.तारतम्यता से पहले से छठवें गुणस्थान तक संभव हैं।(सही)
    3.हिंसा में आनंद मानना।
    4.आर्त्तध्यान सभी जीवों को तिर्यंचगति का कारण हैं।

  12. इनमें से कौन शुक्लध्यान का भेद नहीं हैं - pg 229
    1.सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति
    2.अपृथकत्ववितर्कवीचार(सही)
    3.अन्यत्ववितर्कवीचार(सही)
    4.व्युपरतक्रियानिवृत्ति

  13. अरिहंत भगवान का स्वरूप- pg 237
    1.समस्त कर्मों का अभाव
    2.जो उत्तम देह में विराजमान हैं(सही)
    3.जो शुद्ध हैं(सही)
    4.अनंत चतुष्टय युक्त हैं(सही)

  14. सिद्ध भगवान् कैसे हैं- pg 245
    1.छाया के प्रतिबिम्बकी भाँति पुरुषाकार(सही)
    2.निराकार(सही)
    3.‘नष्ट-अष्ट-कर्म-देह’(सही)
    4.लोक के शिखर पर विराजमान(सही)

  15. आचार्य परमेष्ठी कैसे है - Pg 247
    1.36 गुण सहित है(सही)
    2.पंचाचार का पालन करते है(सही)
    3.धर्माचार्य(सही)
    4.पदस्थ ध्यान में ध्यान करने योग्य है।(सही)

2 Likes