मितवा रे सुमिरन अवसर आयो | mitva re sumiran avsar aayo

मितवा रे सुमिरन अवसर आयो।
म्हारा जीवड़ारो, म्हारो ज्ञानारो
म्हारा चेतन रो, चमक्यो तारो।
म्हारा मीत भला सा।।टेक।।

साधर्मी के मंदिर जी को चालो।
मैं सब कुछ-मैं सब कुछ;
मैं निज वैभव को पायो।
म्हारा मीत भला सा।।१।।

मितवा रे पंचकल्याणक आयो।
देव देवी ने, इन्द्राणी ने;
नर-नारी ने मंगल गायो।
म्हारा मीत भला सा।।२।।

साधर्मी रे शिक्षण शिविर है आयो।
म्हारा जीवड़ा रो, म्हारा;
म्हारा चेतन रो चमक्यो तारो।।
म्हारा मीत भला सा।।३।।