मंगलमय जिनराज तुम्हारे । Mangalmay Jinraaj Tumhare

मंगलमय जिनराज तुम्हारे, निश-दिन शरणे आये।
भक्तिभाव की सरगम गाकर, चरणे शीश झुकाएँ ।।टेक।।

भाव सुमन की सुर-सौरभ हो, गाती निश-दिन प्रभु गौरव को।
अमृत देती प्रभु भक्तों को, भवसागर तिर जाएँ ।।1।।

भाव-किरण की ज्योति जलाई, भक्ति स्वरों में आरति गाई।
अँखियाँ दर्शन को लालचाईं, जन्म सफल कर जाए ।।2।।

नव-लय नव संगीत सुनाएँ, शान्त स्वरों में बीन बजाएँ।
नव-रस भक्ति तान सुनाएँ, निशदिन प्रभु गुण गाएँ ।।3।।

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