मैंने मुनिराज देखे सपने में | maine muniraj dekhe sapne me

मैंने मुनिराज देखे सपने में रात के,
जागे हैं भाग्य मेरे, दर्शन के आपसे ॥ टेक॥

चार हाथ आगे की भूमि, देख-देखकर चलते थे - २
क्षण-क्षण में अन्तर्मुख होकर, आत्मस्वभाव निरखते थे - २
तन मन न्यौछावर मुनिवर- २ चरणों में आपके ॥१॥ मैंने मुनिराज…

अन्तर और बाहर से वो तो वीतरागी ही दिखते थे - २
परद्रव्यों और परभावों से भिन्न स्वयं को लखते थे - २
मैं भी बन जाऊँ मुनिवर -२ जैसा ही आपके ॥२॥ मैंने मुनिराज…

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