कर ले प्रभु का ध्यान | Karle prabhu ka dhyan

कर ले प्रभु का ध्यान, मन के मन्दिर में।
सब कुछ है तेरे पास मन के मन्दिर में ॥
करना उसी का ध्यान, मन के मन्दिर में।
सब कुछ है तेरे पास मन के मन्दिर में॥

जिसको ढूँढे वन वन में, जिसको ढूँढे पर्वत में।
जिसको ढूँढे मन्दिर में, वह तो है तेरे अन्दर में ।
करना उसी का ध्यान, मन के मन्दिर में ॥१॥

मन मंदिर को करना साफ, क्रोध मान माया का करना नाश
डर की जग में नहीं कोई बात, धर्म का फिर तू लेना साथ ।
लोभ को दे फटकार, मन के मन्दिर में ॥२॥

समय जाय फिर आये न हाथ, समय की कीमत को पहिचान।
तन से करना पर उपकार, भाव से देना चारों दान।
समय को ले लो साथ, मन के मन्दिर में ॥३॥

महामन्त्र को बोल बोल बोल, ज्ञान के द्वार खोल खोल खोल
जग में जिसका नहीं है मोल, वो तो तुझ में ही है अनमोल
आतम का कर ले ध्यान, मन के मन्दिर में ॥४॥