जिनवाणी माता आँसू बहाये …।
कोई पढ़े नहीं कोई सुने नहीं, आगम को ठुकराए ।।
पंचम काल में जैन धरम में, जैनी ही लजवाय |
कोई सुने नहीं कोई पढ़े नही, नित ही वर्ते कषाय… ||1||
आतम को जाने नहीं, आगम की माने नहीं ।
आगम को झूठलाये, जिनवाणी माता आँसू बहाये … ||2||
कोई तो शास्त्रों को छपने न दे, कोई तो शास्त्रों को पढ़ने न दे,
कोई शास्त्र डुबाय, जिनवाणी माता आँसू बहाये … ||3||
बीस पंथ का प्रकोप आया, शुद्धाम्नाय को जिसने डुबाया,
गन्डा में बिकवाय, जिनवाणी माता आँसू बहाये …||4||
कोई निश्चय के शब्दों में अटका, कोई व्यवहार की क्रिया में भटका,
गुणों की पूंजी गवाँय, जिनवाणी माता आँसू बहाये …||5||
आजा-२ ओ चेतन प्यारे ! जिनवाणी माता तुझको पुकारे,
मोक्षमहल में जा, जिनवाणी माता आँसू बहाये …||6||
Artist: ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी