जयवंतो जिनवाणी | Jayvanto Jinvani

जयवंतो जिनवाणी जयवंतो जिनवाणी।।टेक।।।

श्री सर्वज्ञ प्रभु की वाणी, गणधर गुरु उर मांहि समानी।
चुनि चुनि अंग रचे सुखदानी, द्वादशांग मय श्री जिनवाणी।।१।।

नित्य बोधनी माँ जिनवाणी, स्वपर विवेक कराती वाणी।
मिथ्या भ्रांति नशाती वाणी, ज्ञायक प्रभु दर्शाती वाणी।।२।।

असदाचरण मिटाती वाणी, सत्यधर्म प्रगटाती वाणी।
भवदुख हरण पीयूष समानी, भवदधि तारक नौका जानी।।३।।

जो हित चाहो भविजन प्राणी, पढ़ो सुनो ध्यावो जिनवाणी
स्वानुभूति से करो प्रमाणी, शिवपथ की है यही निशानी।।४।।

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