जहाँ केश लुंचन, हाथ कमण्डल | jaha kesh lunchan, hath kamandal

जहाँ केश लुंचन, हाथ कमण्डल, नगन दिगम्बर संता
It Happens Only Jindharma…।।टेक।।

जहाँ जाना चाहे वन में तो, खुद जननी तिलक लगावे।
अब न किसी जननी को रूलाऊँ, यह कहकर के जावे।।
फिर पञ्चमहाव्रत के पालन, से नासे सारे कर्मा
1234 It Happens…।।१।।

मुनि बनकर के श्री आदीनाथ ने धर्मध्वजा लहराई ।
महावीर प्रभु की वाणी, ये धर्मामृत भरलाई।।
फिर कुन्दकुन्द के समयसार से, फैलाए जिनधर्मा
1234 It Happens…।।२।।

अरहंत पिताजी मेरे हैं, जिनवाणी माता मेरी ।
अरहंत सहज है होना, तू करले तैयारी पूरी ।।
जहाँ माँ से लोरी सुने बिना, बच्चे को न आए निंदिया
1234 It Happens…।।३।।