होरी हो रही हो नगर में | hori ho rhi nagar me

[राग-जंगला]

होरी हो रही हो नगर में ।।
मेरे पिया चेतन घर नाहीं, मोकूँ होरी को।।1।।
सोति कुमति संग राच रह्यो है, किहि विधि ल्यावत सो।।2।।
‘द्यानत’ कहै सुमति सखियन को, तुम कछु शिक्षा द्यो।।3।।

Artist- पं. द्यानतराय जी

Meaning-
वाह, सारे नगर में होली मनाई जा रही है। परन्तु मेरे पति तो घर पर ही नहीं हैं, मैं कैसे होली खेलूँ? मेरे पति तो कुमति के साथ रच-पच रहे हैं, उन्हें किसी प्रकार लाओ। द्यानतराय कहते हैं कि सुमति अपनी सखियों से कह रही है कि तुम उसको कुछ शिक्षा देओ।

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