दुन्या में देखो सैकड़ों आये चले गये ।
सब अपनी करामात दिखाये चले गये ॥ टेक ॥
अर्जुन रहा न भीम न रावण महाबली ।
इस काल बली से सभी हारे चले गये ।। दुन्या.।।
क्या निरधनी धनवान और मुर्खो गुणवन्त ।
सब अन्त समय हाथ पसारे चले गये ।।दुन्या.।।
सब जंत्र मंत्र रह गये कोई बचा नहीं ।
इक वह बचे जो कर्म को मारे चले गये ।।दुन्या.।।
सम्यक्त धार न्यामत नहीं दिल में समझ ले ।
पछतायगा जब प्राण चले गये ।।दुन्या.।।