१०.धर्म के दशलक्षण
सम्यक् दर्शन ज्ञान सहित हैं, यही धर्म के लक्षण।
क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम।।१।।
तप, त्याग, आकिंचन, ब्रह्मचर्य सुखकार है।
इनको धारो जीवन में, होगा बेड़ा पार है।।२।।
रचयिता-: बा. ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
१०.धर्म के दशलक्षण
सम्यक् दर्शन ज्ञान सहित हैं, यही धर्म के लक्षण।
क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम।।१।।
तप, त्याग, आकिंचन, ब्रह्मचर्य सुखकार है।
इनको धारो जीवन में, होगा बेड़ा पार है।।२।।
रचयिता-: बा. ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’