दशलक्षण के दश धर्मों का | daslakshan ke das dharmon ka

दशलक्षण के दश धर्मों का, उत्सव आया प्यारा।
धर्म ध्यान और पूजन पाठ से, ज्यों दिश हो उजियारा॥
बोलो पर्युषण की जय, बोलो दशधर्मों की जय- २॥

उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच और संयम।
जो नर इन धर्मों को पाले, धन्य- धन्य हो जीवन।
इन दशधर्मों में है समाया, समयसार यह सारा॥
धर्मध्यान… ॥१॥

तप और त्याग तो आभूषण है, इस मानव जीवन के।
आकिंचन और ब्रह्मचर्य है पूज्य है योगीजन के।
इन दश धर्मों के पालन से, सुधरे जीवन सारा॥
धर्मध्यान… ॥२॥

मुनिदशा में उत्तम पालन, इन धर्मों का होता।
इन दशधर्मों से होती है परिणति निर्मल न्यारी।
हर अन्तर्मुहूर्त में मुनिवर, ध्याते शुद्धात्म न्यारा॥
धर्मध्यान…॥३॥

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