चेतन ! खेल सुमति संग होरी |
तोरि आन की प्रीति सयाने, भली बनी या जौरी || टेक ||
डगर डगर डोले है यौं ही, आव आपनी पौरी |
निज रस फगुवा क्यौं नहिं बांटो, नातर ख्वारी तोरी || १ ||
छार कषाय त्यागी या गहि लै, समकित केशर घोरी |
मिथ्या पाथर डारि धारि लै, निज गुलाल की झोरी || २ ||
खोटे भेष धरैं डोलत है, दुख पावै बुधि भोरी |
‘बुधजन’ अपना भेष सुधारो, ज्यौं विलसो शिवगोरी || ३ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी