भली भई यह होरी आई, आये चेतनराय।। भली॰।। टेक।।
काल बहुत प्रीतम बिन बीते, अब खेलौं मन लाय।।1।।
सम्यक रंग गुलाल वरत में, राग विराग सुहाय।
‘द्यानत’ सुमति महासुख पायो, सो वरन्यो नहिं जाय।।2।।
Artist- पं. द्यानतराय जी
Meaning-
बहुत अच्छी होली आई है कि चेतनराजा आ गये। प्रियतम के बिना बहुत काल बीत गया, अब मैं मन लगाकर उनसे खेलँूगी।सम्यक्त्व रूप रंग और व्रतरूपी गुलाल के साथ राग को वैराग्य में बदलकर अच्छा लग रहा है। द्यानतराय कहते हैं कि आज सुमति ने जो महासुख पाया है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।