अपनी मंजिल मोक्ष है | apni manjil moksh hai

हम आनन्दित हैं-४
अपनी मंजिल मोक्ष है आहाहा… मोक्ष है ओ हो हो मोक्ष है॥टेक॥

चेतन की ही कहानी है, ज्ञायक की आभा है।
जन्मों से हमने इसको अब तक नहीं निहारा है
निज के दर्शन के खातिर, हम शमशीर उठा लेंगे।-२
चिर ज्योतिर्मय सारे हैं हम लेकिन झिलमिल एक है।
आ हा हा ऽऽ एक हैं ओ हो हो ऽऽ एक हैं ॥१॥

रत्नत्रय के साधन हैं यहाँ और अवसर भी है यहाँ।
जिनवर प्रभु की भक्ति है यहाँ, अरहन्त की मिली सभा
ज्ञान ही अपना धाम हैं, ज्ञान ही दर्शन वाला है।
गुण मय सारे हीरे है हम, लेकिन जगमग एक है।
आ हा हा एक है ओ हो तो ऽऽ एक है॥२॥

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