अद्भुत ऐ बात चली | Adbhut Ae Baat Chali

अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे… हे (२)

अमृतचन्द्रकी याद है सताए, अमृतचन्द्रकी याद है सताए रे;
अमृतचन्द्रकी याद है सताए, बुलाये कोई कुन्दकुन्द को सपनो में आज रे।
उनकी ही प्रीत भली, उनसे ही प्रीत लगी रे… हे (२)
अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे। ।। १ ।।

मैं हूँ ज्ञानमयी शुद्ध चेतन, मैं हूँ ज्ञानमयी शुद्ध चेतन;
मैं हूँ ज्ञानमयी शुद्ध चेतन, बताओ फिर राग का कहाँ प्रवेश रे।
अमृतचन्द्र से बात मिली, कुन्दकुन्द से बात मिली रे… हे (२)
अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे ।। २ ।।

गुरु कहान तुझे समझाए, गुरु कहान तुझे समझाए रे;
गुरु कहान तुझे समझाए, जरा करलो तुम भेदविज्ञान रे ।
समकितकी रीत भली, मुक्ति की राह मिली रे… हे (२)
अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे। ।। ३ ।।

गंध विषयनकी मन नहीं भाए, गंध विषयनकी मन नहीं भाए रे;
गंध विषयनकी मन नहीं भाए, सुहावे मारे संयम जो सिरताज रे ।
रत्नत्रय कली खिली, मोहकी ना दाल गली रे… हे (२)
अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे ।। ४ ।।

गुण पर्यायसे पूरा बताया, गुण पर्यायसे पूरा बताया रे;
गुण पर्यायसे पूरा दिखाया, मैं तो दिखू हूँ सिद्ध समान रे ।
देह से भिन्न अहो, स्व से अभिन्न कहो रे… हे (२)
अद्भुत ऐ बात चली, ज्ञायक की बात चली रे ।। ५ ।।

Artist : ब्र. पं. सुमतप्रकाशजी

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