आज मैं धन्य हुई | Aaj Mai Dhanya Hui

हुआ तीर्थंकर अवतार, आज मैं धन्य हुई
आये तीनलोक के नाथ, आज मैं धन्य हुई…
धन्य हुई… - 4
मेरा रोम-रोम रोमांच, आज मैं धन्य हुई

स्वर्गपुरी से चय कर स्वामी, भरतक्षेत्र में नाथ पधारे
गर्भ समय से मोक्ष समय तक भव्य जनों के भाग्य संवारे
ये सारे जगत के प्राण, आज मैं धन्य हुई
समकित में निमित्त महान, आज मैं धन्य हुई ॥ 1 ॥

नाथ तुम्हारे स्पर्श मात्र से, मानो सारा वैभव पाया
जिस क्षण प्रभुवर तुम्हें निहारा, आनन्द रस की बहती धारा
अब देखूँ आठों याम, आज मैं धन्य हुई
ले हस्त युगल में नाथ, आज मैं धन्य हुई ॥ 2 ॥

धन्य हुई यह स्त्री पर्याय, समकित से तन-मन हर्षाय
मोह तिमिर का अन्त हुआ अब, सम्यक श्रद्धा हृदय समाये
मिला अनंत गुणों का धाम, आज मैं धन्य हुई
अब मोह से मिला विश्राम, आज मैं धन्य हुई ॥ 3 ॥

एक अवस्था अन्तिम होगी, भव-भव से फिर मुक्ति मिलेगी
जन्म-मरण के बंधन छूटें, फिर मैं जन्म कभी न धरूँगी
अब सिद्धशिला ही धाम, आज मैं धन्य हुई
अब भव पर पूर्ण विराम, आज मैं धन्य हुई॥ 4 ॥

Lyrics: @Sanyam_Shastri

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