ये प्रण है हमारा, ना जन्में दुबारा | Ye pran hai hamara, naa janme dubara

Version 1:

ये प्रण है हमारा, ना जन्में दुबारा,
क्योंकि विषयों में, आनन्द हमको आता नहीं।
अरे! इस झूठे जग में, रहना हमको भाता नहीं॥ टेक॥

जिन-जिन संयोगों में हमने, अपनापन दिखलाया।
भ्रमबुद्धि से हमने खुद, अपना संसार बढ़ाया।
भव-भव से हो छुटकारा, संकल्प हमारा ॥१॥ क्योंकि विषयों…

द्रव्य क्षेत्र अरु काल भाव से, मैं इस जग से न्यारा।
छ: द्रव्यों से भिन्न चाल है, मेरा रूप निराला।
चैतन्य प्रभु हमारा, जब से हमने निहारा ॥२॥ क्योंकि विषयों…

धन्य धन्य है कुन्दकुन्द ने, समयसार दिखलाया।
कहान गुरु है उपकारी, हमको भगवान बताया।
निर्ग्रन्थ धर्म है प्यारा, लेगें उसका सहारा ॥३॥ क्योंकि विषयों…

Version 2:

ये प्रण है हमारा ना जन्में दोबारा, क्योंकि विषयों में आनंद हमको आता नहीं,
अरे इस झूठे जग में रहना हमको भाता नहीं ।

1.जिन जिन संयोगों में हमने अपना पन दिखलाया ,
भ्रम बुद्धि से हमने खुद अपना संसार बढ़ाया
भव भव से हो छुटकारा , संकल्प हमारा

क्योंकि…

2.द्रव्य क्षेत्र अरु काल भाव से मैं इस जग से न्यारा
छह द्रव्यों से भिन्न चाल है मेरा रूप निराला
चैतन्य प्रभि हमारा , हमने जब से निहारा
तब से विषयों में आनंद हमको आता नहीं
अरे इस …

3.धन्य धन्य हैं कुंद कुंद जो समयसार दिखलाया
अमृत चंद्र गुरु उपकारी हमको भगवान बताया
निर्ग्रंथ मार्ग है प्यारा लेंगे उसका सहारा
क्योंकि विषयों में आनंद हमको आता नहीं
अरे…

4.ग्रहण किया प्रज्ञा से मैं चेतक ही हूं यह जाना
अन्य सभी परभाव भिन्न मुझसे से ये मैं माना
प्रज्ञा से ही भेद और प्रज्ञा से ग्रहण बताया
भेदों में भी एक अभेद दृष्टि में आज समाया
निज में निज की प्रभुता को जबसे हमने स्वीकारा
तब से विषयों में आनंद हमको आता नहीं
अरे…

Artist: पंडित संजीव जी उस्मानपुर

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