ये मोह महा दुःख खान, कोई मत करज्यो ।
ये आपा पर बेभान, कोई मत करज्यो ।।१।।
ये क्रोध महा शैतान, कोई मत करज्यो ।
ये दोष भयंकर जान, कोई मत करज्यो ।।२।।
ये मान महा अपमान, कोई मत करज्यो ।
ये दोषों में प्रधान, कोई मत करज्यो ।।३।।
ये कपट महा अज्ञान, कोई मत करज्यो ।
ये शान्ति नष्ट विधान, कोई मत करज्यो ।।४।।
ये लोभ बिगाड़े खेल, कोई मत करज्यो ।
ये जीवन को बलिदान, कोई मत करज्यो ।।५।।
ये देह बनेली राग, ममता मत करज्यो ।
ये विश्व अंगुष्ठ दिखाय, समता चित धरज्यो ।।६।।
Artist: श्री दीपचंद जी सेठिया