यही है ध्यान… यही है योग…
(डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल )
( दोहा )
अपनेपन के साथ ही निज आतम का ज्ञान।
रमो जमो बस यही है निज आतम का ध्यान ।। 1।।
(रेखता)
अरे निज आतम को पहिचान आत्मा में अपनापन करें।
अरे अपने आतम को जान उसी में अपनेपन से जमे ।।
यही है निश्चय सम्यग्दर्श यही है निश्चय सम्यग्ज्ञान।
रतन त्रय शामिल हो जाते करो यदि एक आतम का ध्यान।।२।।
काय चेष्टा कुछ भी मत करो और कुछ भी ना बोलो बोल।
और ना कुछ भी सोचो भाई! एक आतम में रमो अमोल।।
यही है निश्चय सम्यक् ज्ञान यही है निश्चय सम्यक् ध्यान।
यही है परम शुद्ध उपयोग यही है अद्भुत कार्य महान।। ३ ।।
यही है परम समाधीयोग यही है परमतत्व की लब्धि।
यही है आतम की संवित्ति यही है आतम की उपलब्धि।।
यही है परम भक्ति का भाव यहीं है निर्विकल्प आनन्द।
यही है परम समरसीभाव यही है परमशुद्ध आनन्द।। ४।।
यही है परम शुद्धचारित्र यही है स्वसंवेदन ज्ञान।
यही है स्वस्वरूप उपलब्धि यही है परम शुद्ध विज्ञान।।
यही है दिव्यध्वनि का सार यही है परमतत्व का बोध।
जगत में इसके बिन कुछ नहीं यही एकाग्र चित्त का रोध।।५।।
यही एकाग्रचित्त का रोध यही है अपनेपन का बोध।
यही है उपयोगी उपयोग यही है योगिजनों का योग।।
इसी को कहते हैं सब लोग मिला है यह अद्भुत संयोग।
स्वयं को जानो मानो जमो यही है परमतत्व का बोध।। ६ ।।
स्वयं को जानो, जानो नहीं, जानना होने दो तुम सहज।
जानने का तनाव मत करो जानते रहो निरन्तर सहज।।
अरे करने-धरने का बोझ उतारो हो जाओ तुम सहज।
जानने के तनाव से रहित जानना होने दो तुम सहज।। ७ ।।
जानना होने दो तुम सहज जानने के विकल्प से पार।
और तुम हो जाओ निर्भार भाड़ में जाने दो तुम भार।
भाड़ में जाने दो तुम भार करो तुम अपने में निर्धार*।
यदि बनना चाहो भगवान उन्हीं-से हो जाओ निर्भार।। ८ ।।
**उन्हीं-से हो जाओ निर्भार उन्हीं-से हो जाओ निर्ग्रन्थ।
चाहते हो तुम भव का अंत शीघ्र ही छोड़ो जग का पंथ।
सहजता जीवन का आनन्द यही है परमागम का पंथ।
चलो तुम परमागम के पंथ शीघ्र आवेगा भव का अंत।। ९।।
शीघ्र आवेगा भव का अन्त प्रगट होगा आनन्द अनन्त।
ज्ञान-दर्शन भी होंगे नंत वीर्य भी होगा अरे अनन्त।।
अनन्तानन्द अनन्तानन्द अनन्तानन्द अनन्तानन्द।
अनन्तानन्द अनन्तानन्द अरे भोगोगे काल अनन्त।। १०।।
( दोहा )
महिमा आतमध्यान की जिसका आर न पार।
आतम आतम में रमे हो जावे भव पार।।
*सोच समझकर निश्चित करना।
** उनके समान ही।
Singer: @Deshna
क्रमनियमितपर्याय (डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल)
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