विभिन्न धुन - vibhinn dhun

१. सहजानंदी शुद्ध स्वरूपी, अविनाशी मैं आत्मस्वरूप ।।

२. हम हैं जिनवर की संतान, सदा करेंगे आतमज्ञान ।।

३ देव हमारे श्री अरहंत, गुरु हमारे निर्ग्रन्थ सन्त ।।

४. अरिहंत की जय … जिनवाणी की जय।
गुरुदेव की जय …जिनधर्म की जय।

५. देह मरे भले, मैं नहीं मरता,
अजर-अमर मैं आत्मस्वरूप ।।

६. ’ आत्म-भावना करते
करते होता केवलज्ञान ।’

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