वैराग्य भावों का लेके आधार |vairagya bhavon ka leke aadhar

वैराग्य भावों का लेके आधार,
तप संयम से करने श्रृंगार…
बड़ी ही सुहानी है…ये मंगल घड़ी।
बड़ी ही सुहानी है…ये मंगल घड़ी ॥

देह नेह को तजकर, निज शुद्धातम को ध्यावे…
भव समुद्र सिमट कर, निज ज्ञान सिन्धु लहरावे…
राग की आग बुझाई है…
बड़ी ही सुहानी है… ये मंगल घड़ी… ॥१॥

द्वादश तप को धरि के, करम धूलिको धो डालेंगे…
मोह तपन को तजिके, शांत सरोवर में अब गाहे…
बारह भावना भाई है…
बड़ी ही सुहानी है ये मंगल घड़ी… ॥२॥