उत्तम नरभव पायकै, मति भूलै रे रामा || टेक ||
कीट पशु का तन जब पाया, तब तू रह्या निकामा |
अब नरदेही पाय सयाने, क्यौं न भजे प्रभु नामा || १ ||
सुरपति याकी चाह करत उर, कब पाऊं नरजामा |
ऐसा रतन पायकैं भाई, क्यौं खोवत बिनकामा || २ ||
धन जोबन तन सुन्दर पाया, मगन भया लखि भामा |
काल अचानक झटक खायगा, परे रहैंगे ठामा || ३ ||
अपने स्वामी के पदपंकज, करो हिये विसरामा |
मैंटि कपट भ्रम अपना ‘बुधजन’ ज्यौं पावो शिवधामा || ४ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी