मुनिराजों में एक मुनिवर ऐसे होते हैं, जो ज्ञान देते हैं।
द्वादशांग के ज्ञाता मुनिवर पूज्य होते हैं || उपाध्याय होते हैं।।
सब शास्त्रों का सार समझते, और समझाते हैं।
शेष समय तो निज आतम में लीन रहते हैं ।। उपाध्याय होते हैं ।।
मुनिसंघ के सब साधक को, ज्ञान प्रदाता हैं।
पच्चीस गुणों से युक्त मुनिवर तृप्त होते हैं। उपाध्याय होते हैं।
Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी