उड़े गगन में झण्डा प्यारा | udde gagan me jhanda pyara

उड़े गगन में झण्डा प्यारा, जैनधर्म का बजे नगारा ॥

ऋषभ देव ने इसको रोपा, भरत चक्रवर्ती को सौंपा।
उसने इसका किया प्रचारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥१॥

महावीर ने इसे उठाया, भारत को सन्देश सुनाया।
धर्म अहिंसा जग हितकारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥२॥

गौतम गणधर ने अपनाया, अनेकान्त जग को समझाया।
स्याद्वाद करके विस्तारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥३॥

मुनियों ने फिर इसे सम्हाला, भूतल पे कर दिया उजाला।
यही करेगा देश सुधारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥४॥

हम भी सब मिलकर सेवेंगे, नहीं जरा झुकने देवेंगे।
तन-धन चाहे जाय हमारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥५॥

दया धर्म का पाठ पढ़ावें, सबको करना प्रेम सिखावें।
विजय पताका लगता प्यारा, उड़े गगन में झण्डा प्यारा ॥६ ।।

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