तुम्हारे दर्शन से भगवान, प्रगट हो जाये आतम ज्ञान ||
मैनें काल अनादि गंवाया, इन विषयन संग बहु दुख पाया।
मुझको यह भी पता नहीं था, बन सकता भगवान IIतुम्हारे ।।
नरक पशु गति बहुदख पायो,देवगति विषयन भरमायो।
दुर्लभ नरतन यूं ही गंवायो, पर को अपना मान ।तुम्हारे।।
जब से मुद्रा तेरी निहारी, बुद्धि जागी प्रभु हमारी।
काटुंगा में अब भव फेरी, धरकर आतम ध्यान ।तुम्हारे।।
भोगन में सुख सब भ्रम त्यागं, जिन वचनों में अब मन पागू।
आतम रस में अब ऐसा लागू, पाऊँ मोक्ष महान I तुम्हारे।।
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