तुम ऐसे बनो ! ऐसे न बनो !!
तुम पेट भरौ पेटी न भरौ , तुम सेठि बनौ न समेटि धरौ ।
तुम पुण्योदय से धनी बनौ , पर औरन का धन तौ न हरौ ॥
तुम बनकरि साहूकार , नहीं औरों पर अत्याचार करौ ।
तुम बैठि बैठि करि कारों में , मत औरों को बेकार करौ ।।
तुम रहौ सुखी बनि दुनिया में , पर औरों को दुखिया न करौ ।
तुम जियो हजारों वर्ष अरे , पर औरन का जीवन न हरौ ॥
तुम फूलौ फलौ सदा जग में , पर औरन को मत देखि जरौ ।
तुम रहो महल सत मंजलों में , औरों के घर न उजाड़ करौ ॥
तुम बनौ बड़े इज्जत वाले , पर औरों की इज्जत न हरौ ।
तुम बनौ स्वयं जग में नामी , मत औरों को बदनाम करौ ।।
बनवा अपने कोठी बंगले , औरों को तौ कंगला न करौ ।
अपना करि लाखों का धंधा , पर औरों को अंधा न करो ॥
मानव बनिकरि दानव न बनौ , नर बनिकरि के नाहर न बनौ ।
जैनी बनि करि छैनी न बनौ , प्यारे बनकरि आरे न बनौ ॥
तुम बनिकरि फूल न शूल बनौ , चन्दन बनिकरि न बबूल बनौ ।
लाला बनिकरि भाला न बनों , शीतल बनकर ज्वाला न बनौ ||
कंचन बनिकरि मति कंच बनौ , बनि पंच अरे न प्रपंच बनो ।
रक्षक बनिकरि भक्षक न बनौ , साधक बनिकरि बाधक न बनौ ॥
पंडित विद्वान प्रचारक बनि , निज खान पान को शुद्ध करौ ।
’ मक्खन ’ बनि स्वयं शुभाचरणी , पीछे पर को उपदेश करौ ।। "