तू धर ले दिगम्बर चोला ऽऽऽभाई
धरले दिगम्बर चोला ॥ टेक ॥
द्रव्यलिंगमय यह चोला संयम का चिह्न कहलाता है,
किन्तु भावलिंगमय बिना कभी ये शोभा नहीं पाता है ।१ ।।
महावीर से गौतमजी तक, गौतमजी से कुन्दकुन्द तक
कुन्दकुन्द से टोडरमल तक, सबने यही है बोला ॥२॥
इस चोले को धारण करने, सुरपति मन ललचाया है।
जिसके लिए स्वर्ग का, वैभव भी सब ठुकराया है।
चलते-फिरते सिद्धों जैसे मुनिराजों का टोला ॥३॥