दिव्यध्वनि ओंकारमयी होती हैं इसके कोई प्रमाण मिल सकते हैं क्या?
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जय जिनेन्द्र भाईसाब,
दिव्यध्वनी ॐकारमयी होती है, यह बस सुना है, भजनों में, पूजन में, लेकिन इसका मूल आगम प्रमाण नहीं दिखा।
जैन कोष में भी नही प्राप्त हुआ,
परंतु/-
• कविवर बनारसी दास जी का छंद गुरूदेवश्री कानजी स्वामी सदैव दोहराते हैं /-
मुख ॐकार ध्वनि सुन अर्थ गणधर विचारे
रची आगम उपदेश भविक जीव संशय निरवारे।
• और उन्ही के भक्तामर स्तोत्र के छंद 35 के प्रवचनों में इस प्रकार पढ़ा है की
तो इससे कुछ ध्यान आना चाहिए।
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