नित्यबोधिनी माँ जिनवाणी

नित्यबोधिनी माँ जिनवाणी, चरणों में सादर वंदन।
भटक-भटक कर हार गए हम, मेटो भव-भव का क्रंदन।।टेक।।

मैं अनादि से मोह नींद की मदहोशी में मस्त रहा।
पर द्रव्यों की आसक्ति में हर पल मैं संलग्न रहा।।

2 Likes