ચૈતન્યરસનાં ઘૂંટડા - શ્રુતપંચમી દિન રચના

गिरनार की चंद्रगुफ़ा, जहाँ महान आचार्य धरसेनाचार्य ने पुष्दन्त एवं भूतबलि मुनिराज को आगम अभ्यास कराया, उसी गुफा में बैठकर जिन्होंने षट्खंडागम-धवल शास्त्र का अभ्यास शुरू किया और लगातार 16 माह 1 दिन एकासन आहार कर उसी चंद्रगुफ़ा में फिर जाकर श्री धवल के 16 भाग का अभ्यास पूर्ण किया, ऐसे जिनवाणी के सुपुत्र ब्रह्मचारी हरिलाल जैन द्वारा वीर संवंत २५०५ के श्रुतपंचमी के दीन की गई रचना

ચૈતન્યરસનાં ઘૂંટડા