भगवान का अभिषेक क्या स्वर्ग की देवी कर सकती है?

क्या स्वर्ग की देवी जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर सकती है? ऐसा हमारे किस शास्त्र में लिखा है?

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हमारे शास्त्रों में स्त्री जाति को भगवान का अभिषेक करने का पात्र नहीं बताया, इसमें सब स्त्रियां(देवी) शामिल हैं।

(मात्र स्त्री विशेष पर विचार किया जाए तो)
भगवान का न्हवन पुरुष ही कर सकतें हैं, स्त्रियां नही, लेकिन ये प्रश्न सार्थक प्रतीत होता है क्योंकि दक्षिण भारत में ये सामान्यतः देखा जाता है कि वहां स्त्रियां अभिषेक करतीं हैं, इसका कारण है/- कि प्राचीन काल में जब पुरुषों को समय नहीं मिलता होगा अभिषेक का तो स्त्रियां जाकर कर आती थी, ऐसा सुना है मैंने बड़ों से , इस वजह से वहां परम्परा चल पड़ी लेकिन वह समीचीन नहीं है।
तथा अभिषेक इसीलिए भी नहीं कर सकतीं क्योंकि जिनका अभिषेक किया जाता है वे पुरुषलिंग वाले हैं और स्त्रियां उनसे विपरीत लिंग वालीं होतीं हैं, शील भंग का प्रसङ्ग बनता है। (देवियाँ भी सम्मिलित)

:point_down: अभिषेक ना करने का कारण

स्त्रियों के सम्बंध में ये आलेख अवश्य पढ़ें। :point_down:

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अरे भाई! प्रश्न तो देवियों का है।

भाईसाहब!

ये मत प्रस्तावित किया था, इससे शेष विषयान्तरित है, एतदर्थ क्षमा।

संयमजी देवी और अरिहंत भगवान की मूर्ति में शील भंग का प्रसंग कैसे आएगा। और देवी तो बिना काया के ( बिना छू के) भी प्रविचार कर सकती है, परंतु कोई भी देव मनुष्य से ऐसा कभी नहीं करता।

वैसे प्रश्न संयम जी से पूछा है लेकिन फिर भी मैं भी नाम से संयम हूँ अतः उत्तर देने की धृष्टता कर रहा हूँ।

देखिए अभिषेक की आवश्यकता हमारी श्रद्धा एवं सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत होती है। अतः मनुष्यों में पुरुष ही योग्य हैं।

रही बात देवियों की तो कुछ भी हो हमें उससे क्या। बालक तीर्थंकरों को गोद में लेने का उल्लेख है लेकिन अभिषेक का उल्लेख तो वहाँ भी नहीं है।

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बाबूजी युगलजी कृत “चैतन्य की उपासना” में से एक प्रसंग। इतना ज्ञात है कि यह प्रामाणिक ग्रंथ नहीं है, लेकिन यह logical लगता है।

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