अरहन्त भगवान की प्रतिमा में देव-शास्त्र-गुरु का प्रतीक पना किस प्रकार घटित होगा?? पूछने का आशय है कि अरहंत भगवान के बिम्ब में पहचान हेतु कौन सा प्रतीक चिन्ह होता है जिसके कारण हम उसकी पहचान कर पाते हैं अर्थात जैसे भगवान की मूर्ति है तो वहां शास्त्र इसलिए विराजमान नहीं करते कारण कि यन्त्र जी में ही शास्त्र की स्थापना होती है इसी तरह गुरु की स्थापना किस प्रतीक से मानी जाएगी? प्राचीन काल की मूर्तियों पर चिन्हांकित चिन्ह नहीं दिखाई देने पर कैसे उस मूर्ति की पुष्टि करें क्या इतना माना जाए कि यह अरहंत भगवान का बिम्ब है या अन्य कुछ और भी?
प्रश्न को और विस्तार दीजिये, क्योंकि इसका उत्तर तो आप भी जानते ही हैं - स्थापना निक्षेप से।
सुधार कर दिया है। भैय्या
विचारधारा की एकता होने से
पृथक् मूर्ति द्वारा या जैसे पंच परमेष्ठी पूजन का विधान भगवान के समक्ष करने का ही है अतः अन्य गुरुओं की पूजा भी देव के समक्ष ही होगी और कोई उपाय नहीं है।
जी, सामान्य अर्हन्त प्रतिमा माना जाएगा। (लोग तो उन्हें बिना carbon dating किए चौथे काल की मान लेते हैं।)
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