कारण कार्य और वस्तु-व्यवस्था

यह ज्यादा उचित है।

नयों के सम्बंध में एक वाक्य पढ़ा था कि ‘निश्चय और व्यवहार वस्तु (द्रव्य गुण पर्याय) और कार्यों/क्रियायों में नहीं अपितु ज्ञान और कथन मे लगते है।’

‘निमित्त उपादान’ की चर्चा वस्तु में होने वाले नवीन कार्य के सम्बंध मे कारण कार्य व्यवस्था का ज्ञान कराने के लिए है। तथा ‘निश्चय व्यवहार’ अध्यात्म मे प्रयोग किए जाते हैं और उनका प्रयोजन जीव को स्वानुभव कराने के लिए है।

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