सम्मेद शिखर जी की वंदना

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1----गौतम गणधर ----35 चरण है
24 तीर्थंकरो के व 10 पारसनाथ भगवान के गणधर के
सफेद वर्ण के है व
गौतम गणधर के श्याम वर्ण के है
*विशेषता *
इस कूट की विशेषता है कि यह स्थान पर्वत पर समतल भूमि पर है
इस कूट से एक साथ 9 टोंक के दर्शन और होते है
पॉच टोंक दायी और व चार टोंक बाई और है
2----इस टोंक पर 35 चरण बने है
जिनमे 34श्वेत वर्ण के व एक श्याम वर्ण के है

2----कुंथुनाथ जी —ज्ञानधर कूट ----श्याम वर्ण के चरण है
3—नमि नाथ जी ------मित्रधर कूट
शंयाम वर्ण के चरण है ----
4----अरहनाथ जी ----नाटक कूट — श्याम वर्ण के चरण है
इस कूट से एक कम एक अरब मुनि मोक्ष गये !
5----मल्लिनाथ जी ----संवल कूट। श्याम वर्ण के चरण है
इस कूट से 96करोड़ मुनि मोक्ष गये
6----श्रेयांस नाथ जी -----संकुल कूट --श्याम वर्ण के चरण
7----सुविध नाथ जी (पुष्पदंत जी) ------सुप्रभ कूट —सफेद वर्ण के चरण
*विशेषता *
इस कूट की यह विशेषता है कि यह अकेली कूट है जो चारो तरफ से खुली है
8----पद्म प्रभ जी -----मोहन कूट ----श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता *
यह कूट तीन तरफ से खुली है !
9-----मुनिसुव्रतनाथ भगवान -----निर्जर कूट----- श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता *
इस कूट से ही सबसे ज्यादा मुनि मोक्ष गये है
10-----चन्द्रप्रभू जी -----ललितकूट ----श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता *__
इस कूट की यह विशेषता है कि दूर से देखने पर चन्द्नमा हमेशा इसी टोंक के उपर नजर आता है ! और इस टोंक मे दो परिक्रमा है

11----आदिनाथ जी —कैलाश पर्वत से मोक्ष गये -----सफेद वर्ण
*विशेषताये *। !
1—सबसे बड़े चरण है क्योकि आदिनाथ भगवान की अवगाहना सबसे ज्यादा थी
2-----चरण के बीच मे बैल का चिन्ह बना है
3—श्वेत वर्ण के चरण है

12----शीतलनाथ जी -----विधुतवर कूट ----( काले वर्ण के चरण है
विशेषता ------इस कूट की यह विशेषता है कि परिक्रमा लगाने पर सभी टोंको के दर्शन होते है
13-----अनंत नाथ जी -----स्वयंभू कूट ----श्याम वर्ण —
विशेषता -----इस कूट की भी यही विशेषता है कि परिक्रमा लगाने रर सभी टोंक के दर्शन होते है
14-----संभव नाथ जी -----धवल कूट। श्वेत वर्ण के चरण

15-----वासूपूज्य जी —चंपापुर से मोक्ष गये —श्वेत वर्ण के 5 चरण बने है

16----अभिनंदन नाथ भगवान -----आनंद कूट – श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता *
इस टोंक पर बंदर हमेशा बैठे रहते है !

अब इस टोक के बाद जल मंदिर आता है जहॉ पर लगभग 120 वर्षो पूर्व दिंगंबर जैन प्रतिमाये स्थापित थी
राजस्थान के नागौर मे इसके प्रमाण है

17----धर्मनाथ भगवान -----सुदतवरकूट ----श्याम वर्ण के चरण
18----सुमतिनाथ जी ----अविचल कूट श्याम वर्ण के चरण
19----शांतिनाथ जी ----कुंदप्रभ कूट --श्याम वर्ण के चरण
20----महावीर स्वामि जी -----सफेद वर्ण
विशेषता ---------सबसे छोटे चरण है क्योकि महावीर स्वामि की अवगाहना सबसे कम थी व सबसे छोटी टोंक है !
21-----सुपार्श्व नाथ भगवान ----प्रभाष कूट ----श्याम वर्ण
*विशेषता
इस टोक पर एक राजा ने ध्यान लगाया व इस कूट की रज को लगाने पर कोढ दूर हो गया -------सुपार्श्वनाथ भगवान की इस टोंक की रज को बहुत चमत्कारिक माना जाता है
22----विमल नाथ भगवान -----सुवीर कूट------श्याम वर्ण के
23------अजित नाथ भगवान -----सिद्धवर कूट -----श्वेत वर्ण के चरण
*विशेषता *-----
इस सम्मेद शिखर पर्वत से सबसे पहले मोक्ष जाने वाले अजित नाथ भगवान है !

24----नेमिनाथ भगवान ----गिरनार जी उर्ज्यंत पर्वत से मोक्ष गये है
3 जोड़े श्वेत वर्ण के चरण बने है !

25----पार्श्वनाथ भगवान-----स्वर्णभद्र कूट ----श्याम वर्ण के चरण
*विशेषता *
इस टोंक मे दो परिक्रमा है !
सबसे ऊंची टोंक है !
स्वर्णभद्र कूट भी तीन तरफ से खुली है

सम्मेद शिखर जी मे टोटल 25 टोंक है
चौबीस तीर्थंकर की है व एक गौतम गणधर की
25 टोंको में से 17 टोंको के चरण काले वर्ण के है व 8 टोको मे श्वेत वर्ण के है
जो चार तीर्थंकर सम्मेद शिखर जी से मोक्ष नही गये उनके चरण श्वेत वर्ण के है
आदिनाथ जी
वासूपूज्य जी
नेमिनाथ जी
महावीर स्वामि

सम्मेद शिखर जी से सबसे पहले मोक्ष जाने वाले तीर्थंकर
अजित नाथ जी व संभव नाथजी
इनके चरण श्वेत वर्ण के है
9 वे पुष्पदंत जी के श्वेत वर्ण के है

गौतम गणधर
इस प्रकार इन आठ टोको पर श्वेत वर्ण के चरण है
शेष सभी टोंको पर श्याम वर्ण के चरण है

गौतम गणधर की टोंक पहाड पर समतल मैदान मे है
इस समतल मैदान मे ही हमे एक साथ दस टोंको के दर्शन एक साथ हो जाते है
गौतम स्वामि की टोंक के
बायी और से पॉच टोक ( 17,21, 18, 19,11)वे नम्बर के भगवान

दायी और चार टोक ( 15,5,16,24)
वे नम्बर के भगवान की टोंक है

आदिनाथ भगवान की टोंक की तीन विशेषताये है !
1-----श्वेत वर्ण के चरण है
2----चरण मे बीच मे बैल का चिन्ह बना है अन्य। किसी भी टोंक मे कोई चिन्ह नही है
3------सबसे बड़े चरण है !

पर्वत पर केवल दो ही टोंक ऐसी है जहॉ से समस्त टोंको के दर्शन होते है
10वे शीतल नाथ जी
14वे अनंत नाथ जी
इन दो भगवान की टोंक से परिक्रमा लगाने पर सभी टोंको के दर्शन होते है !

सभी टोंको मे केवल दो ही टोंक ऐसी है जिन में दो दो परिक्रमा है
8वे चन्द्रप्रभ जी की ललित कूट
23 वे पार्श्वनाथ जी की स्वर्णभद्र कूट

सभी टोंको मे केवल सुविधि नाथ भगवान की सुप्रभ कूट ही ऐसी है जो चारो तरफ से खुली है
पद्म प्रभ जी की मोहन कूट तीन तरफ से खुली है व पार्शव नाथ जी की स्वर्ण भद्र कूट भी तीन तरफ से खुली है
शेष सभी टोंके एक ही तरफ से खुली है

सभी टोको मे केवल तीन टोंक ही ऐसी है जिन पर एक जोड़ी चरण से ज्यादा चरण बने है
गौतम स्वामि की टोंक —35 युगल चरण
वासुपूज्य जी की टोंक पर पॉच युग्ल चरण है
नेमिनाथ भगवान की टोंक पर 3 युग्ल चरण बने है

पार्शव नाथ भगवान की टोंक पर नीचे गुफा मे भी चरण बने है इस प्रकार पार्शवनाथ भगवान की टोंक पर भी दो चरण है
सम्मेद शिखर जी मे
25 टोंको पर
टोटल चरण
66 चरण है

सम्मेद शिखर जी मे पार्शवनाथ टोंक व अभिननंदन नाथ भगवान की टोंक पर चरण पुन: स्थापित हुये
अभिनंदन नाथ भगवान की टोंक कर चरण पुन: स्थापित करने का अवसर हमे ही मिला था

सम्मेद शिखर जी से वर्तमान मे हुंडावसर्पिणी काल के दोष के कारण ही बीस तीर्थंकर ही शाश्वत भूमि से मोक्ष गये है
जब्कि भविषय काल मे यहॉ से पूरे 24 तीर्थंकर ही मोक्ष जायेगे
इसी कारण यहॉ पूरे 24 तीर्थंकर की टोंक बनी हुई

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