स्त्री को मोक्ष होने में क्या-क्या निषेध हैं ? जैसे काफी मत में माना जाता है कि स्त्री को मोक्ष हो सकता है जैन धर्म के कौन-से कौन-से बिंदु से स्त्री का मोक्ष निषेध किया गया है ?
इस प्रश्न सम्बन्धी पहले चर्चा हुई है, वहां अवश्य देखें।
जय जिनेन्द्र
मेरी चर्चा अन्यमति जो भगवद गीता पढ़ रहे है उनसे हुई है मेने यह points उनको पहले भी समजाये पर उनका मानना है जब आत्मा का कोई लिंग नही है तोह विशुद्धि बढ़ाकर स्त्री भी मोक्ष जा सकती है ।
उसमे कर्मयोग बताया है जिसमे जीव को सुख दुख एक समान लगता है उसको राग द्वेष किसी वस्तु या लोगो से नही होता वो बस एक responsibility होने के कारन बाहर के कार्य करता है और ऐसे जीव को मोक्ष हो सकता है बिना कुछ त्याग किये क्योंकि उसने मन से सब छोड़ा हुआ ही है ।
यह बात कोई आधार से सही नही लगती उनको जैन धर्म से मोक्ष को कैसे समजाया जा सकता है?
देखिए जीव की बाहरी पर्याय जीव के अंतरंग परिणामों का दर्पण समान काम करती है। कहने का मतलब, जीव के उस समय परिणाम ही ऐसे है की वह मोक्ष नहीं जा सकता है, स्त्री पर्याय तो बस निमित्त रूप जीव के परिणाम बताती है।
आप इसे और extend करके यह तर्क दे सकते है, की इस रूप से तो निगोदिया जीव भी मोक्ष जा सकता है निगोदिया पर्याय में ही क्यूँकि केवल परिणाम की बात है। लेकिन जीव के परिणाम ऐसे है की वो निगोदिया है, जीव निगोदिया है तो ऐसे परिणाम है ऐसा नहीं है।
शरीर स्त्री-रूप है इसलिए जीव मोक्ष नहीं जा सकता – ऐसा नहीं है। उस समय जीव के परिणाम ही ऐसे है की वो मोक्ष नहीं जा सकता, निमित्त स्त्री पर्याय बनती है।
विषय- स्त्री मुक्ति मीमांसा
एक बहुत सुंदर आलेख आदरणीय डॉ शुद्धात्म प्रकाश जी, मुम्बई के द्वारा लिखा गया है।
इसमें दिगम्बर और श्वेताम्बर, दोनों पक्षों का समावेश है और स्त्री मुक्ति का निषेध क्यों किया गया है?, इसका विशद विवेचन किया है।
https://drive.google.com/file/d/16jV5hbihAIxjd4bDyFMLLnomjaYWJ_1B/view?usp=drivesdk
अवश्य पढ़ें।
बहुत सुंदर लेख है । अन्यमती को भी इसके द्वारा अच्छे से समजाया जा सकता है ।
उत्तम लेख है, एकदम तर्क और युक्ति से समझाया है!