जैसे स्वेताम्बर ओर स्थानक में कुछ बातों को अछेरा कहा जाता है।
ऐसे ही हमारे दिगम्बर में भी कुछ बाते ऐसी ही नही है।
जैसे महापुरषो को निहार नही होता।
तीर्थंकरो का रक्त सफेद होता है।
पृथवी गोल नही है
पंचाश्चर्य होते है
श्वेताम्बर आम्नाय में जिन बातों को अछेरा कहा जाता है वो बिल्कुल प्रमाण विरुद्ध बातें हैं जो सम्भव ही नहीं किन्तु दिगम्बर आम्नाय में जो बातें कहीं है वे प्रमाण विरुद्ध नहीं है तर्क से युक्ति से आगम से सिद्ध होती हैं असम्भव नहीं हैं अछेरा तो तब कहा जायेगा जब हमारे पास अपनी बात सिद्ध करने का कोई सटीक उत्तर ही न हो
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