पुद्गल द्रव्य को जब बहुप्रदेशी के रूप में कहा, तब उसे संख्यात, असंख्यात और अनंत प्रदेशी रूप में स्वीकार किया है। यहां प्रश्न है कि असंख्यात प्रदेशों वाले लोक में अनंत प्रदेशी पुद्गल किस रूप में अवस्थित होगा?
लोकाकाश के एक प्रदेश में अनेक पुद्गल परमाणु वास कर सकते हैं।
असंख्यात प्रदेशी लोक => “असंख्यात” without overlap.
अनंत प्रदेशी पुद्गल => “अनंत” with overlap.
Correct me if wrong.
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इसके अनुसार अनंत प्रदेशी पुद्गल बद्ध रूप हुआ, और बद्ध पुद्गल में दो परमाणु हो तो भी एक प्रदेश में रह सकता है ।
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कोई भी एक पुद्गल द्रव्य अनंत प्रदेशी भी हो और बद्ध न हो, ऐसा संभव नहीं ।
अतः हर प्रदेश पर बद्ध पुद्गल के अनंत परमाणु होते है?
हो सकते है - ये स्पष्ट है ।
होते ही है - ये ज्ञात नहीं ।
यह विषय पर हमारा अधिक अभ्यास नहीं इसलिए हम जो सोच रहे है यह सही है या गलत कृपया बताइएगा।
जैसे पलंग 6 फुट का है, उस तरह कोई पुद्गल स्कंध असंख्यात प्रदेशी लोक (या तो अनंत आकाश) में अनंत प्रदेशी फैलाव नहीं कर सकता। परंतु पुद्गल स्कंध में अनंत परमाणु होने से उसे अनंत प्रदेशी कहा जायेगा। क्योंकि एक परमाणु एक प्रदेशी होता है।
फिर चाहे वह अनंत परमाणु स्कंध एक आकाश प्रदेश में हो या संख्यात, असंख्यात।
संख्यात-असंख्यात-अनंत प्रदेशी पुद्गल स्कन्ध में उतने (संख्यात-असंख्यात-अनंत) परमाणु होंगे। यदि यह ठीक है तो अनंत प्रदेशी कहने से उसमें कितने परमाणु है वह ज्ञात होता है नाकि वह कितना लोक प्रदेश रोकता है।
जब कि जीव (धर्म, अधर्म) को असंख्यात प्रदेशी कहा है वह उसके maximum possible spread से कितने आकाश प्रदेश रोकता है उससे कहा है।